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डिप्रेशन दवाओं से भी नहीं जा रहा? जानिए इसके पीछे क्या है कारण
Depression Not Curing With Medicines: मूड ऑफ होना, बेचैनी या फिर उदास रहना, ऐसा एक बार नहीं बल्कि हर दिन हो सकता है, लेकिन इनकी वजह से काम, रूटीन, एनर्जी के लेवल पर कोई खास असर नहीं होता है। जब ऐसी चीजें आकर रुकने लगे और मन में घर बनाने लगें तो यह बहुत बड़ी दिक्कत है।
आपके मन से ऐसी आवाज आने लगे कि अब कुछ भी सही नहीं है और न हो सकता है। किसी से बिल्कुल बात करने का मन भी नहीं होता है। मन उन सभी कामों से हट जाता है, जिसमें हमारा मन लगता है या पहले काफी दिलचस्पी थी। यह सब डिप्रेशन का रूप है, जिसे ठीक करने के लिए दवाओं का सहारा लेना पड़ता है।
एक्सपर्ट की मानें तो दिमाग को स्कैन करने से पता चलता है कि चिंता और डिप्रेशन के 6 अलग-अलग प्रकार हैं। चिंता और डिप्रेशन का मिश्रण ब्रिटेन की सबसे कॉमन मेंटल हेल्थ समस्या माना जाता है, जो लगभग 8% आबादी को प्रभावित करता है, अमेरिका में भी यही दर है। हालांकि, 10 में से 4 मरीजों को पहले ऐसा उपचार नहीं मिलता है, जो असरदार हो और जिससे वे लंबे समय तक ठीक रह सकते हैं।
वहीं अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने डिप्रेशन और चिंता के नए प्रकारों को खोज लिया है। इसके लिए दिमाग को स्कैन करने की तकनीक का उपयोग किया, ताकि एक दिन इस प्रोसेस को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके।
मरीजों के दिमाग का स्कैन
मरीजों के दिमाग को तब स्कैन किया गया, जब वे आराम कर रहे थे। तब उनसे कोई इमोशनल काम करने के लिए कहा गया, जैसे दुखी लोगों की तस्वीरों को देखकर रिएक्ट करने को कहा गया। सिडनी यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ने किसी भी अंतर को देखने के लिए मरीजों के साथ-साथ इन परिणामों की तुलना की है।
उन्होंने हर एक प्रतिभागी के डिप्रेशन और चिंता के लक्षणों की जांच की, जैसे कि अनिद्रा या आत्महत्या की भावनाएं, ताकि दिमाग के स्कैन के परिणामों वाले रोगियों के बीच किसी भी सामान्य लक्षण की पहचान की जा सके।
डिप्रेशन के प्रकार
डिप्रेशन और चिंता को 6 अलग-अलग प्रकार हैं। आइए जानते हैं कि किस-किस टाइप के डिप्रेशन होते हैं...
DC+SC+AC+, AC−, NSA+PA+, CA+, NTCC-CA− और अंत में DXSXAXNXPXCX
मेजर डिप्रेशन
इस तरह के डिप्रेशन में काम करने की क्षमता, नींद, खाना या किसी भी काम को करने में परेशानी होती है। हर किसी की लाइफ में एक बार ऐसा समय जरूर आता है, जब वह मेजर डिप्रेशन में होता है।
बाइपोलर डिप्रेशन
डिप्रेशन बाइपोलर या मैनिक-डिप्रेसिव डिसऑर्डर है। यह पुरुषों और महिलाओं में बराबर होता है, जबकि कुछ मामलों में गंभीर माना जाता है।
लगातार तनाव में रहना
अगर किसी भी तरह का तनाव या चिंता सालभर से ज्यादा है तो यह डिप्रेशन की काफी गंभीर स्टेज हो सकती है, जिसमें संभलना बेहद जरूरी है।
प्रेग्नेंसी से जुड़ा तनाव
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को उनकी डिलीवरी को लेकर टेंशन रहती है, जिससे तनाव होना नॉर्मल है। ऐसे समय में महिला के साथ फैमिली सपोर्ट होना जरूरी है।
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर
इस तरह का डिप्रेशन मौसम के साथ होता है। आम तौर पर इस तरह का डिप्रेशन सर्दियों के साथ शुरू होता है और बसंत ऋतु व गर्मियों के आने तक खत्म भी हो जाता है।
साइकोटिक डिप्रेशन
साइकोटिक डिप्रेशन काफी गंभीर होता है, इससे हर समय व्यक्ति को गलत भ्रम रहता है। अक्सर उन्हीं चीजों को देखते हैं, जिससे तनाव बढ़ जाता है।
क्या कहती है स्टडी?
नेचर मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी के लेखकों ने बताया है कि डिप्रेशन और चिंता के लिए कौन-से उपचार ज्यादा असरदार हैं? माना जाता है कि डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में सेरोटोनिन का लेवल कम होता है, हालांकि, इस पर वैज्ञानिक बहस करते हैं।
SSRIs (Selective Serotonin Reuptake Inhibitor) इन लेवल को बढ़ाकर मुकाबला करते हैं। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट को शंका है कि यह दवाएं बहुत ज्यादा सेरोटोनिन जारी कर सकती हैं, जिससे लोगों की सेहत पर असर पड़ सकता है।
साइकेट्रिस्ट एंटीडिप्रेसेंट के साइड इफेक्ट के बारे में रोगियों को अपने ऑप्शन के बारे में अपने डॉक्टर से बात करने की सलाह है। कभी-कभी डॉक्टर साइड इफेक्ट से निपटने के लिए ऑप्शनल डोज, एक अलग दवा या दूसरी दवा लिख सकते हैं।
वे उन रोगियों से निवेदन करते हैं, जो उन्हें ले रहे हैं कि वे पहले अपनी देखभाल करे। बिना डॉक्टर से सलाह लिए दवा लेना न छोड़ें।
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