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दिख रहे हैं धुंधले स्पॉट्स या पतली हो रही है भौंह? हेल्थ से जुड़ी कई बड़ी वॉर्निंग देती हैं आंखें और आईब्रोज

Eyes Give Warning About Health: क्या आपको पता है कि हमारी आंखों का काम सिर्फ देखना भर नहीं है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार हमारी आंखों में समय-समय पर कुछ समस्याएं आती रहती हैं। ये समस्याएं असल में आपके स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर संकेत हो सकते हैं या फिर ये आम होती हैं, जानिए इसी सवाल के जवाब और समझिए अपनी आंखों की भाषा।
10:33 PM Aug 09, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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Eye Health : हमारी आंखें हमारे शरीर के सबसे नाजुक और सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक होती हैं। जब कभी हमें देखने में दिक्कत या बदलाव महसूस होता है तो इसका मतलब है कि कुछ गड़बड़ चल रहा है। आंखों से जुड़े कई लक्षण नुकसानदायक नहीं होते और इनके होने पर घबराने की जरूरत नहीं होती तो कुछ लक्षण दिखने पर अगर एक्सपर्ट के पास नहीं गए तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। लेकिन, यहां ध्यान देने वाली एक बात यह है कि हमें केवल अपनी आंखों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, हमारी आईब्रोज यानी भौंह भी हमारी हेल्थ के बारे में बड़े संकेत दे सकती हैं। इस रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट्स से जानिए कि आपकी आंखें और आपकी भौंहें आखिर क्या कहती हैं।

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धुंधले स्पॉट्स दिखने का मतलब

अगर आप कहीं देख रहे हैं और आपको बीच-बीच में कुछ स्पॉट धुंधले दिखाई दे रहे हैं तो यह समस्या फ्लोटर्स की वजह से हो सकती है। फ्लोटर्स धुंधले स्पॉट्स होते हैं और एक्सपर्ट्स के अनुसार ये बहुत कॉमन होते हैं। इनका आकार हर व्यक्ति की आंख में अलग-अलग हो सकता है। ये फ्लोटर्स छोटे से एक डॉट जितने आकार के भी हो सकते हैं और एक बड़ी टेढ़ी-मेढ़ी लाइन के आकार के भी।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी आंख के पिछले हिस्से में मौजूद रहने वाला जेली जैसे पदार्थ (विट्रियल ह्यूमर) का कंसंट्रेशन घटने लगता है यानी यह पानीदार होने लगता है। इससे यह आंख के पीछे की दीवार से दूर चला जाता है जिससे जेली में मौजूद कोशिकाएं और फाइबर ज्यादा साफ दिखने लगते हैं। इन्हीं फाइबर्स के रिफ्लेक्शन को फ्लोटर्स कहते हैं।

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यूं तो ये फ्लोटर्स पूरी तरह से हार्मलेस होते हैं यानी इनसे नुकसान नहीं होता। लेकिन, ये इस बात का संकेत भी हो सकते हैं कि आपको तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है। उदाहरण के लिए आंसू की बड़ी बूंदें या रिंग जैसे फ्लोटर्स रेटिना से विट्रियल ह्यूमर के कम होने के लक्षण हो सकते हैं। अगर फ्लोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है तो फिर यह रेटिनल टियर या डिटैचमेंट का संकेत हो सकता है।

पतली होती जा रही हैं आईब्रोज

अगर पहले आपकी आईब्रोज घनी थीं लेकिन अब थोड़ी पतली लग रही हैं तो यह आपकी हेल्थ से जुड़ा एक गंभीर संकेत हो सकता है। 'द सन' की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे लेकर हेयर रिमूवल एक्सपर्ट फाइड्स बाल्डेसबर्गर कहते हैं कि पतली होती आईब्रोज हार्मोन्स में असंतुलन (जैसे कि थॉयरॉयड डिस्फंक्शन) होने का संकेत हो सकती हैं। इसके साथ ही बाल झड़ने की समस्या भी हो सकती है।

फाइड्स के अनुसार आयरन, बायोटिन और विटामिन्स जैसे पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी आईब्रोज पतली हो सकती हैं। अगर आपको भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी डाइट में ऐसे फूड आइटम्स शामिल करने चाहिए जिनमें ये पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके लिए आप रेड मीट, बीन्स, ड्राई फ्रूट्स और एग योक का सेवन कर सकते हैं।

पलकें फड़कने का क्या मतलब है

यह एक ऐसी समस्या है जिसका सामना लगभग हर किसी ने किया होगा। दरअसल, हमारी पलकों में और उनके आस-पास मसल्स में होने वाली एंठन यूं तो बिल्कुल आम है और इससे कोई नुकसान नहीं होता। ऐसा आम तौर पर तब होता है जब आप टेंशन में होते हैं याज्यादा थके हुए होते हैं। कुछ लोगों के लिए ज्यादा कैफीन का सेवन करने से भी पलकों के फड़कने की दिक्कत आ सकती है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह फड़कन आती और जाती रहती है लेकिन आम तौर पर कुछ दिन में अपने आप समाप्त हो जाती है। अगर आपको भी यह दिक्कत हो रही है तो आपको तनाव से छुटकारा पाने के रास्ते खोजने चाहिए। इसके साथ ही अगर आप कैफीन का सेवन ज्यादा करते हैं तो उसमें भी कमी कर सकते हैं। अगर इसके बाद भी आपको राहत नहीं मिलती तो तुरंत आई टेस्ट करवाएं।

आईब्रोज के पास स्किन की परत

अपनी आईब्रोज के पास अगर आपको ड्राई स्किन की परत दिखती है तो यह सेबोर्हेइक डर्मेटाइटिस का संकेत हो सकता है। यह समस्या ओवरएक्टिव सेबासियस ग्रंथि और त्वचा पर यीस्ट की ग्रोथ से जुड़ी हुई है। हालांकि, इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन आप साफ-सफाई रख कर, सुगंध वाले साबुन और क्रीम के की जगह पर मॉइस्चराइजिंग सोप का इस्तेमाल करके इसे कंट्रोल कर सकते हैं।

आपस में चिपकती जा रहीं पलकें

क्या आपको ऐसा महसूस होता है कि आपकी पलकें चिपक गई हैं? या फिर कभी ऐसा लगा है कि पलकें उतनी आसानी से नहीं खुल रहीं जितनी पहले खुल जाया करती थीं? अगर इस सवाल को लेकर आपका जवाब हां है तो यह ड्राई आईज से लेकर बैक्टीरियल इंफेक्शन तक कई समस्याओं का संकेत हो सकता है। यह परिस्थिति ब्लेफराइटिस नाम की एक मेडिकल कंडीशन से जुड़ी हो सकती है।

दरअसल हमारी पलकें एक खास तरह का तेल उत्पन्न करती हैं। ब्लेफराइटिस की समस्या होने पर पलकें जिस तरह तेल प्रोड्यूस करती हैं उसके तरीके में समस्या होती है। ऐसा होने पर आप आई ड्रॉप्स, हीट मास्क और क्लीनिंग वाइप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, बैक्टीरियल इंफेक्शन की दिक्कत होने पर आप एंटीबायोटिक ड्रॉप्स का यूज कर सकते हैं। लेकिन, पहले डॉक्टर से जरूर मिलें।

कॉर्निया के किनारे पर सफेद धब्बे

अक्सर हमारी आंख के कॉर्निया और कंजक्टिवा के किनारे पर छोटे, उठे हुए, सफेद-पीले स्पॉट दिखने लगते हैं जिन्हें पिंग्युस्यूला या प्टेरीजियम कहते हैं। ये हार्मलेस होते हैं और सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों से हुए डैमेज की वजह से बनते हैं। जो लोग धूप में ज्यादा समय बिताते हैं उनमें इस समस्या का होना आम बात है। हालांकि, आम तौर पर इनसे कोई खास नुकसान नहीं होता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिंग्युस्यूला के आकार में बदलाव आने की संभावना न के बराबर होती है और इलाज की जरूरत भी नहीं होती। लेकिन, कई मामलों में प्टेरीजियम को कॉर्निया पर बढ़ते हुए देखा गया है। ऐसी स्थिति बन जाने पर उसे निकालना पड़ता है। इस समस्या से बचने के लिए अपनी आंखों को धूप से बचाने की कोशिश करें। धूप में निकलें तो यूपी प्रोटेक्शन वाला चश्मा पहनें।

खून से भरी हुई एकदम लाल आंखें 

कई बार हमारी आंखें एकदम लाल हो जाती हैं मानो उनमें खून उतर आया हो। ऐसा ड्राईनेस, एलर्जी और ब्लड वेसेल्स के फटने की वजह से होता है। कंजंक्टिवाइटिस, धूल या फिर अंदर की ओर बढ़ता पलक का बाल इसका कारण बन सकता है। अगर आपको भी ऐसी समस्या होती है तो आपको बिना देर किए अपने ऑप्टीशियन से मिलना चाहिए और अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए।

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