कहीं आपको भी तो नहीं 'लासा फीवर'? ये हैं शुरुआती संकेत और बचाव के तरीके
Lassa Fever Symptoms: दुनियाभर में कोविड के बाद से अलग-अलग संक्रमणों के फैलने के मामले तेज हो गए हैं। कोविड के भी कई वेरिएंट्स फैल चुके हैं। कुछ समय पहले मंकीपॉक्स ने लोगों की चिंता बढ़ा दी थी। इस बीच एक नए बुखार लासा ने भी अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है। अमेरिकन हेल्थ डिपार्टमेंट में इस नए वायरस को लेकर चिंता बढ़ गई है। दरअसल, मामला कुछ ऐसा था कि यहां एक संदिग्ध की मौत हुई है जो कि पिछले महीने ही पश्चिम अफ्रीका से लौटा था। इस क्षेत्र में लासा बुखार बुरी तरह से प्रभाव डाल रहा है। मौत के बाद की गई जांच के अनुसार, मृतक को लासा फीवर का संक्रमण था। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सब कुछ।
क्या है लासा फीवर?
लासा बुखार का वायरस पश्चिम अफ्रीका में ही पनपा था। रोग नियंत्रण और प्रदूषण केंद्र (CDC) के अनुसार, यह पहली बार साल 1969 में नाइजीरिया के लास्सा में पाया गया था। इस बीमारी के बारे में लोगों को तब पता चला था जब नाइजीरिया में इससे पीड़ित दो नर्सों की मौत हो गई थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी एक वायरल फीवर है। इसमें अनियंत्रित ब्लीडिंग के साथ तेज बुखार होता है। यह बुखार आमतौर पर संक्रमित चूहों या फिर संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा, यात्रा के चलते यह वायरस एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर होता है।
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लासा बुखार कैसे होता है?
लासा बुखार का वायरस संक्रमित मलमूत्र या चूहों के मूत्र के संपर्क में आने से होता है। यह वायरस इंसान के शरीर में संक्रमित भोजन, पानी, हवा या संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
लासा बुखार के शुरुआती संकेत
लासा बुखार के लक्षण आम तौर पर संक्रमण के 1 से 3 सप्ताह के अंदर दिखाई देते हैं।
- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- गले में खराश
- खांसी और थकान
- उल्टी और दस्त
- पेट दर्द
- कुछ मामलों में नाक, आंख या मुंह से ब्लीडिंग होना
उपचार
लासा बुखार के लिए उपचार की आवश्यकता होती है, और यह जितना जल्दी हो सके शुरू करना चाहिए। इसके उपचार में कुछ चीजों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जैसे-
1.एंटीवायरल दवाएं- रिबावायरिन (Ribavirin) जैसी एंटीवायरल दवाएं इस बीमारी में लाभकारी होती हैं, लेकिन इन्हें लक्षण शुरू होते ही जल्दी लेना जरूरी है।
2.हाइड्रेशन- शरीर में पानी की कमी, इलेक्ट्रोलाइट्स, और बीपी को नियंत्रित करना भी जरूरी है।
3.इंफेक्शन कंट्रोल- संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोगों को दूर रखना चाहिए और सेफ्टी प्रिकॉशन्स को फॉलो करें।
बचाव के कुछ तरीके
- संक्रमित चूहों से दूर रहें और उनके संपर्क में आने से बचें।
- खाना-पीना सुरक्षित और साफ रखना जरूरी।
- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना और स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना।
- घर में चूहों के प्रवेश को लेकर योजना बनाएं ताकि वे अंदर न आ सकें।
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