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आपको भी आते हैं बुरे सपने? तो ये हो सकता है हड्डियों की इस बीमारी का संकेत

Nightmare Can Sign Of Arthritis: कभी-कभी बुरे सपने आने का मतलब है ये नहीं होता है कि कुछ बुरा देख लिया है या किसी चीज को देखकर डर गए हैं आप। अक्सर ऐसा तब होता है जब शरीर में किसी बीमारी की शुरुआत हो गई है और धीरे-धीरे शरीर संकेत देने लगता है।      
12:13 PM Jun 07, 2024 IST | Deepti Sharma
आपको भी आते हैं बुरे सपने  तो ये हो सकता है हड्डियों की इस बीमारी का संकेत

Nightmare Can Sign Of Arthritis: आप के साथ कभी भी ऐसा हुआ है कि जब आप सोते हैं, तो आपको अलग-अलग सपने आते होंगे। ये आपके सपने कभी किसी की यादों से जुड़ी होती हैं, लेकिन क्या कभी आपने सपने में किसी सीरियल किलर को देखा है? ये सुनकर थोड़ा चौंक गए होंगे न आप, लेकिन एक इंसान ऐसा है जिसको बीते 5 सालों से बस सीरियल किलर के सपने आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के एक मरीज के अनुसार पिछले 5 साल से उसके सपने में सिर्फ एक सीरियल किलर आता है। कभी पैर पकड़ लेता है तो कभी हाथ, जिससे बचने के लिए वह नींद में ही मशक्कत करता रहता है। वहीं, एक मरीज ने बताया कि सोते समय उसे अक्सर महसूस होता है कि कोई उसकी छाती पर बैठ गया है और वह सांस नहीं ले पा रहा है।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और लंदन के किंग्स कॉलेज ने हाल ही में प्रकाशित एक रिसर्च में पाया कि रात में आने वाले डरावने सपने और हैलुसिनेशन जैसी समस्या ऑटोइम्यून डिजीज जैसे कि ल्यूपस, आर्थराइटिस आदि के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। यह रिसर्च इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसमें 400 डॉक्टर का सर्वे और लगभग 800 मरीजों के इंटरव्यू किए गए हैं। डरावने सपने आने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि एल्कोहल, कुछ दवाइयां, एंग्जाइटी, नींद की कमी आदि का होना। लेकिन इन कारणों से ये सपने कभी-कभी आते हैं जबकि ऑटोइम्यून बीमारियों की वजह से आने वाले सपनों में कंटिन्यू होती है। वे सालों तक लगातार आ सकते हैं।

डरावने सपने हो सकते हैं बीमारियों के संकेत

सपनों को कंट्रोल करने वाला ब्रेन के हिस्से पर असर होता है? 

शरीर में कहीं पर भी इंफ्लामेशन होने पर रात में डरावने सपने बढ़ते हैं। दरअसल, जब शरीर में इंफ्लामेशन होता है तब साइटोकाइन नाम का हामोंन जो कि इसे बैलेंस करने का प्रयास करता है, वह REM स्लीप असर करता है। REM स्लीप नींद की वह अवस्था है, जिसमें सपने सबसे ज्यादा आते हैं। इसके अलावा ऑटोइम्यून डिजीज के कारण शरीर में बढ़ने वाले इंफ्लामेशन का असर दिमाग पर होता है, जिसमें दिमाग का नींद और सपनों को कंट्रोल करने वाला हिस्सा प्रभावित होने लगता है और शरीर की स्थिति के आधार पर सपनों का रूप बदलने लगता है।

किस तरह के सपने ज्यादा आते हैं

डरावने सपने ऑटोइम्यून बीमारियों में या फिर बीमारी की शुरुआत दोनों के कारण हो सकते हैं। मरीजों को उन पर किसी के द्वारा हमला करने, किसी जाल में फंसने, कुचलने या फिर किसी की हत्या करने जैसे सपने ज्यादा आते हैं। कई बार सपने और भी डरावने हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ सपनों में कोई अपना मुसीबत में फंसा हुआ नजर आता है, लेकिन आप चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर पाते हैं।

किस तरह की बीमारियों का खतरा रहता है? 

  • ये संकेत ल्यूपस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, स्जोग्रेन सिंड्रोम और सिस्टमैटिक स्केलेरोसिस के हो सकते हैं।
  • ल्यूपस ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम हेल्दी टिशू पर हमला करने लगता है। यह दिमाग, दिल, किडनी, लिवर और फेफड़े किसी भी अंग पर हमला कर सकता है।
  • ऐसे ही स्जोग्रेन सिंड्रोम से भी जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न होती है।

सोने से एक घंटे पहले का शेड्यूल सेट करें 

सपनों के लिए फिजिकल और मेंटल कंडीशन दोनों ही जिम्मेदार हैं। हालांकि, मेंटल कंडीशन का असर काफी ज्यादा है। ऐसे में सोने से एक घंटे पहले का शेड्यूल अच्छा होना बेहद जरूरी है। इसके लिए ब्रीदिंग टेक्निक अपनाएं, योग करें। इसके लिए अलावा रात का खाना हल्का रखें। रोज 30 से 45 मिनट
एक्सरसाइज जरूर करें। ऑटो इम्यून डिजीज में एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है।

यह न केवल इंफ्लामेशन घटाता है बल्कि शरीर के केमिकल को बैलेंस को भी बेहतर करता है। इस तरह यह खराब सपनों की स्थिति को भी सुधार करता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक युवा व्यक्ति को रेगुलर रूप से एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। इसमें कार्डियो और स्ट्रेंथ एक्सरसाइज दोनों ही होनी चाहिए।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है। 

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