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पीरियड में हद से ज्यादा दर्द को न करें इग्नोर, कईं बॉलीवुड एक्ट्रेस हो चुकी हैं इस बीमारी की शिकार
Painful Menstrual Periods: हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा शर्मा ने अपने फैंस को अपने 'एंडोमेट्रियोसिस' नाम की बीमारी से पीड़ित होने के बारे में बताया। वहीं, पिछले कुछ दिनों पहले अभिनेत्री शमिता शेट्टी ने भी सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने इस बीमारी से बचाव के लिए सर्जरी कराई है। इससे पहले श्रुति हासन, सुमोना चक्रवर्ती और सेलिना जेटली समेत हॉलीवुड की भी कई एक्ट्रेस इस बीमारी से पीड़ित रह चुकी हैं।
पीरियड्स के दौरान बहुत तेज दर्द होना इसका मुख्य संकेत है। समय रहते इलाज न मिलने पर बड़ी संख्या में महिलाएं इनफर्टिलिटी की शिकार भी हो जाती हैं। इस बीमारी के क्या लक्षण हैं और इससे कैसे बाहर आ सकते हैं। आइए जान लेते हैं पूरी जानकारी..
पीरियड्स के दर्द की समस्या 18 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में होती है। यूट्रस की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं। जब यूट्रस की लाइनिंग बनाने वाले टिश्यू की ग्रोथ असामान्य हो जाती है, तब ये टिश्यूज यूट्रस के बाहर तक फैलने लगते हैं। एंडोमेट्रियोसिस पेल्विस में होने वाली एक समस्या है जिसमें यूट्रस की लाइनिंग वाली टिश्यू यूट्रस के बाहर बच्चेदानी की मांसपेशियों, अंडेदानी (Egg Container), आंतें, पेशाब की थैली, पेट या शौच द्वार जैसे अंगों में जमा हो जाता है।
फिर जैसे ही पीरियड्स होते हैं, तो इन सेल्स के अंदर भी ब्लीडिंग होती है और जगह-जगह पर ब्लीडिंग होने के कारण उन जगहों पर सूजन और इसका असर होना शुरू हो जाता है। पेट के अंदर एक तरह की चिपकन हो जाती है। इस समस्या के कारण यूट्रस, ओवरी और ट्यूब जैसे अंग आपस में चिपक जाते हैं। चिपकने से ट्यूब के असली रूप के बिगड़ने और ओवरी में सूजन आने के कारण मरीज की इनफर्टिलिटी पर भी असर होता है।
वहीं, एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें पीरियड के दौरान, शौच और शारीरिक संबंध बनाने के दौरान भी बहुत तेज दर्द होता है। जबकि पीरियड साइकिल में शरीर एक फर्टिलाइज्ड एग की तैयारी के लिए नया एंडोमेट्रियम बनाता है। यूट्रस के बाहर एंडोमेट्रियल टिश्यू का बढ़ना एंडोमेट्रियोसिस का एक लक्षण है। वहीं, एंडोमेट्रियोसिस पेल्विक, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी के टिश्यू पर असर करता है।
क्या है कारण
देरी से शादी और बच्चा प्लान करना
किसी फैमिली में पहले किसी को एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी रही है या देर से शादी करने वाली महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा होता है। लगभग 70% मरीजों में एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी देखने को मिलती है। देर से शादी और देरी से बच्चे करना इस बीमारी की खास वजह बनते हैं।
तेजी से बढ़ती इस बीमारी की खास वजह एनवायरनमेंट टाक्सिस यानी एंडोक्राइन डिसरप्टिव केमिकल्स (इडीसी) का ज्यादा बढ़ना है। ये केमिकल्स शरीर के हार्मोन्स के साथ छेड़खानी करते है। बिस्फेनॉल (पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक और एपॉक्सी रेजिन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला केमिकल), फेथलेट्स (प्लास्टिक का सामान बनाने वाला केमिकल), पीसीबी, कीटनाशक, डीडीटी (एग्रीकल्चर में इस्तेमाल होने वाला कीटनाशक) और ऑर्गनोफॉस्फोरस सहित एंडोक्राइन डिसरप्टिव केमिकल्स अलग-अलग डेली प्रोडक्ट जैसे फूड, मीट, पोल्ट्री, प्लास्टिक में प्लास्टिसाइज़र, डिब्बाबंद पेय पदार्थ, कॉस्मेटिक्स, स्प्रे और एयर पोल्यूटेंट में पाए जाते है। हमारे पर्यावरण में इन केमिकल की मौजूदगी के कारण एंडोमेट्रियोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे है।
कैसे होता है इलाज
दवाओं में पेनकिलर दवाओं से लेकर हार्मोनल उपचार तक शामिल हैं, जो ओव्यूलेशन और पीरियड्स को दबाते हैं। एंडोमेट्रियोसिस को हटाने के लिए कई बार सर्जरी के ऑप्शन को भी चुनना पड़ता है। इसमें सबसे आम सर्जरी लेप्रोस्कोपी है। जिन महिलाओं का इलाज लेप्रोस्कोपी से नहीं हो पाता है, तो उनको फिर आईवीएफ की सलाह दी जाती है।
वहीं, एंडोमेट्रियोसिस में दवाई और कुछ मामलों में सर्जरी की सलाह दी जा सकती है, ताकि प्रभावित टिश्यू को जितना हो सके उतना हटा दिया जाए। कुछ मामलों में, सर्जरी लक्षणों को कम करने में मदद करती है और प्रेग्नेंट होने की संभावना को बढ़ा सकती है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि आमतौर पर सर्जरी से समस्या का निदान हो जाता है, लेकिन तकरीबन 20% मरीजों को सर्जरी के बाद भी ठीक नहीं होता है, तो उन्हें आगे का ट्रीटमेंट करने की सलाह दी जाती है।
पीरियड्स के दर्द को नॉर्मल मानकर एंडोमेट्रियोसिस को नजरअंदाज करने से गंभीर नतीजे हो सकते हैं। अगर लगातार पीरियड्स के दौरान दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें और सही इलाज करवाएं।
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