खेलवीडियोधर्म
मनोरंजन | मनोरंजन.मूवी रिव्यूभोजपुरीबॉलीवुडटेलीविजनओटीटी
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियास्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस

म‍िठाई ज‍ितनी ही खतरनाक है प्‍लास्‍ट‍िक की बोतल, ये खतरा जान लेंगे तो आज ही कर लेंगे तौबा

Plastics and Human Health: प्लास्टिक का इस्तेमाल वाटर बोतल के रूप में ज्यादा इस्तेमाल होता है। हालांकि, इससे होने वाली हानि के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन इसी बीच प्लास्टिक के यूज को लेकर एक स्टडी में पता चला है कि प्लास्टिक की बोतलों में पाया जाने वाला केमिकल टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। 
09:34 AM Jul 01, 2024 IST | Deepti Sharma
प्लास्टिक के साइड इफेक्ट Image Credit: Freepik
Advertisement

Plastics and Human Health: प्लास्टिक इन दिनों हमारी डेली के कामों का अहम हिस्सा बन चुका है। आमतौर पर प्लास्टिक का यूज पानी की बोतल, जूस की बोतल के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल का ही इस्तेमाल कई लोग करते हैं, लेकिन ये सबसे ज्यादा हानि करता है। इससे कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं।

Advertisement

प्लास्टिक को लेकर हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि प्लास्टिक की बोतलों में पाया जाने वाला केमिकल बिस्फेनॉल ए (BPA) शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बनाकर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है। यह हार्मोन ब्लड शुगर के लेकर को कंट्रोल करता है। एक नई स्टडी में पाया गया है कि प्लास्टिक की बोतलों में पाया जाने वाला केमिकल टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है।

जर्नल डायबिटीज में प्रकाशित रिसर्च में पता चला है कि प्लास्टिक की पानी की बोतलों जैसी फूड और ड्रिंक पैकेजिंग में इस्तेमाल किया जाने वाला बिस्फेनॉल ए (BPA) शरीर को इंसुलिन के प्रति कम सेंसिटिव बना सकता है। इंसुलिन सेंसिटिविटी से मतलब है कि शरीर की सेल्स इंसुलिन के प्रति कितनी प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया करती हैं, यह एक हार्मोन है जो ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करता है। हाई इंसुलिन सेंसिटिव सेल्स को ब्लड शुगर को इस्तेमाल करती है, जिससे ब्लड शुगर कम हो जाती है। कम इंसुलिन सेंसिटिविटी या इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाई ब्लड शुगर और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है।

पिछली स्टडी से पता चला है कि BPA मनुष्यों में हार्मोन पर असर कर सकता है, लेकिन यह पहली स्टडी है जो सीधे तौर पर दिखाता है कि BPA (Bisphenol A (BPA)) के संपर्क में आने से एडल्ट में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

Advertisement

डायबिटीज का खतरा कैसे करें कम

डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए स्टेनलेस स्टील या कांच की बोतलों और BPA फ्री डिब्बे जैसे ऑप्शन का उपयोग कर सकते हैं। इको-एनवायरनमेंट एंड हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य हालिया स्टडी में पाया गया कि धूप में छोड़ी गई प्लास्टिक की पानी की बोतलें हानिकारक केमिकल छोड़ सकती हैं।

ये सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने वाली 6 प्रकार की प्लास्टिक की पानी की बोतलों से निकलने वाले वोलेटाइल कार्बनिक कंपाउंड (Volatile Organic Compound) को देखा गया और पाया गया कि कुछ बोतलों से ज्यादा विषैले केमिकल निकलते हैं, जिनमें एन-हेक्सा डेकेन जैसे कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ शामिल हैं।

क्या है BPA?

BPA यानी की बिस्फेनॉल-ए एक इंडस्ट्रियल केमिकल है, जिसका यूज प्लास्टिक बनाने में करते हैं और इसे बेबी बोतल, फूड कंटेनर और प्लास्टिक की पानी की बोतल के साथ-साथ कई कमर्शियल प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है।

ये भी पढ़ें-  Doctor’s Day Special : शर्म के कारण हुआ था स्टेथोस्कोप का आविष्कार, आज डॉक्टरों की सबसे बड़ी जरूरत 

Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।
Advertisement
Tags :
health newsplastic bottlesspecial-news
वेब स्टोरी
Advertisement
Advertisement