पोस्टमार्टम से कैसे पता चलती है मौत की सच्चाई? विसरा कब और क्यों रखते हैं सुरक्षित?
Postmortem Process: गाजीपुर के कब्रिस्तान में मुख्तार अंसारी को दफन कर दिया गया है, लेकिन उसकी मौत पर कई सवाल उसके परिजनों ने जेल प्रशासन पर उठाएं हैं। उनके मुताबिक, उसे स्लो पॉइजन दिया गया है और जिसके चलते उसकी मौत हुई है। अब इसी के तहत पोस्टमार्टम की बात सामने रखी गई ताकि मौत की असली वजह पता चल सके। क्या आपके मन में भी ये सवाल आया है कि पोस्टमार्टम कैसे करते हैं क्यों किया जाता है। इसके अलावा अगर पोस्टमार्टम में पूरी बात खुलकर नहीं आती है, तो फिर वह कौन सा प्रोसेस है, जिससे पता चल सके कि मौत कैसे हुई है, आइए इसके बारे में जानें सबकुछ..
पोस्टमार्टम (Postmortem) एक प्रोसेस है जिसमें एक घटना या का विश्लेषण किया जाता है ताकि उसमें आई गलतियों और समस्याओं का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी गलतियों को रोका जा सकें। पोस्टमार्टम के दौरान, संबंधित व्यक्तियों को इकट्ठा किया जाता है ताकि वे मिलकर समस्याओं का जांच कर सकें और समाधान ढूंढ सकें।
पोस्टमार्टम कैसे होता है?
सबसे पहले डेड बॉडी की छाती के पास कट लगाए जाते हैं, जिसके जरिए बॉडी के अंदर के सारे पार्ट्स निकालें जा सके। शरीर से दिल, किडनी, लिवर और अन्य अंगों को निकलता है, इसे विसरा (Viscera Report) भी कहते हैं। इसके बाद डॉक्टर की टीम पूरी डिटेल अच्छे तरीके से मरने का कारण पता लगाती है।
रात में क्यों नहीं किया जाता है पोस्टमार्टम?
पोस्टमार्टम कौन करता है?
जो पोस्टमार्टम करते हैं उन्हें पैथोलॉजिस्ट (Pathologists) कहते हैं। हालांकि, पोस्टमार्टम नॉर्मल डॉक्टर भी करते हैं, लेकिन जो पैथोलॉजिस्ट होते हैं इन कामों में वह काफी कुशल होते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि लोअर रैंक के कर्मचारी चीर फाड़ करते हैं और उनके द्वारा निकाले गए अंगों की स्टडी पैथोलॉजिस्ट करते हैं और व्यक्ति की मौत किन वजह से हुई है उनका पता लगाते हैं।
कितने समय के समय में पोस्टमार्टम करते हैं?
पोस्टमार्टम 6 से 10 घंटे के भीतर हो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है होता है क्योंकि मौत होने के बाद शरीर में बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। कई अंगों में ऐठन होने लगती है और धीरे-धीरे शरीर फूलने लगता है।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कब आती है?
किसी डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करते हैं तो रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर देते हैं। हालांकि, उस समय डॉक्टर यह भी बताते हैं कि फिलहाल यह इनिशियल रिपोर्ट है। शरीर के अंगों की स्टडी करने के लिए लैब में भेजा जाता है और कम से कम 1 से 2 महीने के भीतर पोस्टमार्टम की पूरी डिटेल रिपोर्ट में मिलती है।
देखा जाता है कि आमतौर पर 1 महीने के अंदर ही रिपोर्ट मिल जाती है। अगर पोस्टमार्टम में क्लियर जानकारी नहीं मिलती है तो विसरा मेथड से मौत की जांच कराई जाती है। विसरा मृत शरीर से लिए गए खास सैंपल को कहते हैं, जिसमें फेफड़े, दिल और पाचन तंत्र, उत्सर्जन(Excretion) और रिप्रोडक्टिव सिस्टम के अंग शामिल होते हैं।
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