whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

Lakshadweep Lok sabha Election 2024 : महज 71 वोट से छिन गया 57 साल का राज, वो शख्‍स ज‍िसे हराना था नामुमक‍िन

Lakshadweep Lok Sabha Seat Voting News: लक्षद्वीप की एकमात्र लोकसभा सीट पर मतदान जारी है। पीएम मोदी की एक पोस्‍ट के बाद यह टूर‍िस्‍ट प्‍लेस वैसे भी काफी चर्चा में है। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि यह सीट देश के राजनीत‍िक इत‍िहास में भी खास महत्‍व रखती है।
08:29 AM Apr 19, 2024 IST | Amit Kumar
lakshadweep lok sabha election 2024   महज 71 वोट से छिन गया 57 साल का राज  वो शख्‍स ज‍िसे हराना था नामुमक‍िन
P M सईद लगातार 10 बार सांसद चुने गए थे।

Lakshadweep Lok sabha Election 2024 : 26 साल की उम्र में जो सिलसिला शुरू हुआ, वो 50 साल से भी ज्यादा समय तक चलता रहा। प्रधानमंत्री बदलते रहे...सरकारें आती जाती रहीं। देश में काफी कुछ बदलता रहा। लेकिन एक चीज जो नहीं बदली वो थे लक्षद्वीप के सांसद। जी हां, वही लक्षद्वीप जिसके खूबसूरत बीच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पोस्ट से पड़ोसी देश ही कांप गया। चुनावों का मौसम है। सभी की नजरें देश की हॉट सीट्स पर लगी हैं।

ऐसे में क्यों न हम आपको भारत की एक ऐसी लोकसभा सीट लक्षद्वीप से रूबरू करा दें जो अपने आप में लोकतंत्र का समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। जो रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने बनाए, वही इतिहास इस सीट के सांसद यानी पी.एम. सईद ने भी रचा। ये सभी लगातार 10 बार लोकसभा सांसद बने। सबसे ज्‍यादा समय तक सांसद रहने का र‍िकॉर्ड सीपीआई के इंद्रजीत गुप्‍ता के नाम है, जो लगातार 11 बार सांसद चुने गए। मगर महज 50 हजार आबादी वाले इस द्वीप की कहानी हम तक शायद ही पहुंच पाई। आज यहां वोट‍िंंगजारी है। पी.एम. सईद एक बार जो सांसद बने तो फिर बनते ही चले गए। विपक्षी चाहे कोई भी हो उन्हें मात नहीं दे पाया। मगर जब यह किला ढहा तो महज इतने कम वोटों से कोई भी इस पर यकीन नहीं कर पाया।

1967 में हुए पहले चुनाव

यूं तो देश में पहले चुनाव 1951-52 में ही हो गए थे, लेकिन लक्षद्वीप की जनता को वोट करने के ल‍िए 16 साल का इंतजार करना पड़ा। इससे पहले जो दो सांसद चुने गए, वो राष्‍ट्रपत‍ि द्वारा मनोनीत ही थे। मगर 1967 में लक्षद्वीप की जनता को अपना सांसद खुद चुनने का अध‍िकार म‍िला। रोचक बात यह है क‍ि पहले चुनाव में क‍िसी भी पार्टी ने अपना उम्‍मीदवार नहीं खड़ा क‍िया। ज‍ितने भी प्रत्‍याशी खड़े हुए, सभी के सभी न‍िर्दलीय थे। इन्‍हीं में से एक थे पी.एम. सईद।

पहला चुनाव था तो सब ने लोकतंत्र के त्‍योहार में बढ़-चढ़कर ह‍िस्‍सा ल‍िया। 82 फीसदी से ज्‍यादा मतदान हुआ। वो और बात है क‍ि कुल 11,897 वोट ही पड़े। पी.एम. सईद को 4,151 वोट म‍िले और दूसरे नंबर पर ए.टी. अर्नाकड़ को 3765। सईद 386 वोटों से जीत गए और महज 26 साल की उम्र में उस समय सबसे युवा लोकसभा सांसद बने।

यह भी पढ़ें: जब मेघालय की जनता ने ‘ह‍िटलर’ को द‍िला दी जीत, चुनाव आयोग भी रह गया हैरान

जीते तो फ‍िर जीतते ही चले गए

लक्षद्वीप में उनकी जीत का जो स‍िलस‍िला शुरू हुआ, वो चुनाव दर चुनाव चलता ही गया। 1971 के चुनाव में वह कांग्रेस के उम्‍मीदवार बने। फ‍िर से जीते। 1967 से 1999 तक हर बार जीतते चले गए। लगातार 10 बार सांसद चुने गए। हर बार जीत का अंतर भी बढ़ता ही चला गया। प्रधानमंत्री बदलते रहे लेक‍िन लक्षद्वीप में सांसद वही रहे।

फ‍िर आया वो द‍िन

मगर कहते हैं ना हर अच्‍छी चीज कहीं न कहीं आकर थमती ही है। पी.एम. सईद के साथ भी ऐसा ही हुआ। साल 2004 के चुनाव थे। वो फ‍िर से मैदान में थे, कांग्रेस समेत सभी को उम्‍मीद थी क‍ि इस बार भी कुछ नहीं बदलेगा। मगर इस बार क‍िस्‍मत को कुछ और ही मंजूर था। क‍िस्‍मत ने इस बार धोखा दे द‍िया। जो स‍ियासी सफर 1967 में शुरू हुआ था, वो 2004 में थम गया। वो भी महज 71 वोट से..।

जी हां, सही पढ़ा आपने। जदयू के उम्‍मीदवार पी. पुखुनी कोया ने उन्‍हें स‍िर्फ 71 वोट से हरा द‍िया। उन्‍हें 15,597 वोट म‍िले जबक‍ि सईद को 15,526 वोट हास‍िल हुए। व‍िध‍ि का व‍िधान देख‍िए मई 2004 में वह चुनाव हारे और 18 द‍िसंबर 2005 को स‍िर्फ 65 साल की उम्र में उनका न‍िधन हो गया। अगले चुनाव में उनके बेटे मोहम्‍मद हम्‍दुल्‍ला सईद को जनता का प्‍यार मिला। मगर 2014 और 2019 में यह सीट कांग्रेस के हाथ से न‍िकल गई।

यह भी पढ़ें: ख्‍वाब पाले थे प्रधानमंत्री बनने के.. लेक‍िन अखबार वाले से ही हार बैठे लोकसभा चुनाव

Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो