कौन थे ‘अग्नि मैन’ राम नारायण अग्रवाल? जिनकी बैलिस्टिक मिसाइलों से थर्र-थर्र कांपता रहेगा दुश्मन
DRDO Scientist Death: डीआरडीओ के बड़े वैज्ञानिक रहे राम नारायण अग्रवाल का हैदराबाद में निधन हो गया है। वे 84 वर्ष के थे। उन्हें अग्नि मिसाइलों का जनक माना जाता है। वे ‘अग्नि मैन’ के रूप में प्रख्यात थे। डीआरडीओ ने उनके निधन की जानकारी दी है। बता दें कि राम नारायण लंबे समय तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) से जुड़े रहे। उन्होंने भारत के लिए लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। वे अग्नि मिसाइलों के पहले प्रोग्राम डायरेक्टर थे। जिसके कारण उनको देश में ‘अग्नि मैन’ के तौर पर जाना जाता था। उनकी अगुआई में ही 1983 में देश का महत्वाकांक्षी अग्नि मिसाइल कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसके बाद कई मिसाइलों को लॉन्च किया गया।
Renowned DRDO missile scientist Ram Narain Agarwal— also known as the Father of Agni Missiles, passed away today in Hyderabad at the age of 84. He played a crucial role in the long-range ballistic missile programme in the country and was the first Programme Director of the Agni… pic.twitter.com/O2LoTPapBx
— ANI (@ANI) August 15, 2024
आज भारत के पास जो अग्नि-5 मिसाइल है, इसे मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल माना जाता है। जो 5 हजार किलोमीटर से अधिक दूर तक लक्ष्य को साधने में सक्षम मानी जाती है। डॉ. अग्रवाल हैदराबाद में एडवास्ड सिस्टम्स लेबोरेट्री के निदेशक भी रह चुके हैं। जो 2005 में रिटायर्ड हुए थे। यही नहीं वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी काम कर चुके हैं। मिसाइल कार्यक्रमों में डॉ. अरुणाचलम के साथ अहम भूमिका निभा चुके हैं।
देश के लिए वो किया, जो मुमकिन नहीं था
1995 में उन्हें अग्नि मिसाइलों के ऊपर जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चार साल के भीतर ही उनकी टीम ने वो कर दिखाया, जो मुमकिन नहीं था। 1999 में अग्रवाल ने अग्नि-2 मिसाइल का नया संस्करण लॉन्च कर दिया था। इस मिसाइल की मारक क्षमता अग्नि-1 से कहीं ज्यादा थी। जिसके बाद भारत उन देशों में शुमार हो गया था, जिनके पास लंबी दूरी की मिसाइलें थीं। डॉ. अग्रवाल को उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया। पीएम ने उन्हें 2004 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देकर सम्मानित किया था। वे इसके अलावा चंद्रशेखर सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड, DRDO टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवॉर्ड और भारत रत्न MS सुब्बलक्ष्मी और बीरेन रॉय स्पेस साइंसेस अवॉर्ड जीत चुके हैं। 1990 में उनको पद्मश्री और 2000 में पद्म भूषण से नवाजा गया था।
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