क्या भक्तों के हाथों में अब भी वही ‘अल्फा’ घी वाले लड्डू ! इतनी लेट क्यों जागा प्रशासन?
के .जे श्रीवत्सन
Tirupati laddu controversy: तिरुपति बालाजी के लड्डू में मिलावट का मामला सामने आने के बाद मंदिर प्रसाशन द्वारा घी के टेंडर और उसकी खरीद प्रक्रिया पर बड़ा सवाल उठ रहा है। उससे भी बड़ा सवाल है की दो महीने पुरानी जिस रिपोर्ट को लेकर यह पूरा बवाल मचा हुआ है, उसकी जानकारी के बाद भी क्यों उस कंपनी के टेंडर को तत्काल रद्द नहीं किया गया? क्यों आज तक भी भक्तों को उसी कंपनी से आ रहे घी में बने लड्डू प्रसाद दिए जा रहे हैं।
पहले जरा उस टेंडर के बारे में भी जान लीजिये जिसके बाद खरीदे हुए घी को लेकर बवाल मचा है। दरअसल जब साल 2019 में 320 रूपये के सब्सिडी दाम पर नंदिनी डेयरी ने घी को देने में असमर्थता जाहिर कर दी तो उसके बाद मंदिर प्रसाशन ने आनन फनाना में पांच निजी कंपनियों से घी खरीदना शुरू किया जिनमे ऐ.आर डेयरी एंड एग्रो फूड यानी 'अल्फा' भी शामिल थी।
कोरोना में नहीं हुए बड़े महोत्सव
इसी वक्त कोरोना काल भी आ गया और मंदिर में भक्तों का प्रवेश और अन्य पूजा के बड़े महोत्सव को भी रोकना पड़ा। जिससे बड़े स्तर पर घी खरीद की जरुरत भी नहीं पड़ी। साल 2023 में जब स्थिति थोड़ी सामने हुई तो मंदिर प्रसाशन ने फिर से शुद्द घी के लिए टेंडर जारी किये। जिसमे नंदिनी ने भाग ही नहीं लिया। 12 मार्च 2024 को अल्फा 320 रूपये प्रति किलो के दाम पर घी देने की सहमती जताते हुए अपना टेंडर सबमिट किया। कहा जा रहा है की अल्फा कंपनी वालों को यह भी डर था कि इससे ज्यादा दाम टेंडर में कोट करेगी तो उससे इस एग्रीमेंट छीन सकता है। खैर, 8 मई 2024 को टेंडर उसके नाम निकल आया और इसके 20 दिनों बाद उसने सप्लाई शुरू कर दी।
जांच में पाई गई थी ये गड़बड़ी
अल्फा की तरफ से जून और जुलाई में 10 टेंकर्स घी तिरुपति मंदिर के लिए भेजा जिसमे से 6 का इस्तेमाल किया गया। इसी बीच आंध्र प्रदेश में जून के हुए विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ तो नयी सरकार के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के पास लड्डू के स्वाद और गुणवत्ता में कमी की शिकायत पहुंचने लगी। तत्काल शिकायतों पर गंभीरता दिखाते हुए तिरुमाला- तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर दिया और मंदिर में जिन 5 निजी कंपनियों द्वारा घी सप्लाई की जा रही थी। उनके सैंपल की लैब जांच शुरू हो गई। लैब रिपोर्ट में ऐ.आर. डेयरी एंड एग्रो फ़ूड के सेम्पल में गड़बड़ी पाई गई।
लैब रिपोर्ट में हुए खुलासे
इस बीच जब टैंकर में भरे घी की लैब जांच रिपोर्ट आई तो सभी चौंक गए क्योंकि उसकी गुणवत्ता पर कई सवाल उठने लगे। ऐसे में तत्काल 10 में से बाकी बचे उसके 4 टैंकर को अलग कर दिया गया। इन्ही चार में से 2 टैंकर के सैंपल को 12 जुलाई को गुजरात के नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के लैब में भेजा गया और 6 दिन बाद ही यानी की 18 जुलाई को जो लैब रिपोर्ट आई उसने नतीजे ने सबको हैरान दिया। यह नतीजा वही था जिसका जिक्र खुद आन्ध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अपने आरोपों में किया था की लड्डू प्रसाद के लिए आए घी में किन- किन चीजों की मिलावट पाई गई।
घी की खरीद के लिए टेंडर जारी होगा
कर्नाटक सरकार भी पिछले 50 सालों से तिरुपति मंदिर का प्रसाद बनाने के लिए घी की सप्लाई कर रही थी। ऐसे में अब वहां की सरकार ने भी इसे अपनी भगवान बालाजी के प्रति आस्था का विषय बताते हुए 478 रूपये में फिर से तिरुपति मंदिर में शुद्द घी की सप्लाई शुरू कर दी है। मंदिर प्रसाशन भी यह जनता है की कई लैब जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है की गाय के घी में नंदिनी ब्रांड का गुणवत्ता में इसे मात करने वाली कोई कंपनी नहीं है। एस एम उसने भी बढे दामों पर ही कुछ खपत का एक बड़ा हिस्सा फिर से “नंदिनी” से खरीदने को सहमत हो गई। इस वक़्त मंदिर में प्रसाद के लिए जो घी की आपूर्ति हो रही है वह नंदिनी सहित 5 अलग अलग कम्पनियां 20 लाख लीटर से भी अधिक घी भेज रही है..और इतना घी भी महज 6 महीने के प्रसाद के लिए है उसके बाद फिर से नये सिरे से इतने ही घी की खरीद के लिए टेंडर जारी होगा।