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नेमप्लेट विवाद पर बाबा रामदेव का बयान, बोले- नाम छिपाने की जरूरत नहीं, काम साफ होना चाहिए

Latest Reaction on Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट को लेकर छिड़े विवाद में बाबा रामदेव कूद गए हैं और उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए नाम नहीं छिपाने को कहा है। आइए जानते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कहा?
09:00 AM Jul 21, 2024 IST | Khushbu Goyal
नेमप्लेट विवाद पर बाबा रामदेव का बयान  बोले  नाम छिपाने की जरूरत नहीं  काम साफ होना चाहिए
नेमप्लेट विवाद में अब बाबा रामदेव भी कूद गए हैं।

Baba Ramdev Reaction on Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में नेमप्लेट को लेकर छिड़ा विवाद गहराता जा रहा है। भाजपा की योगी सरकार का फरमान उत्तराखंड में भी लागू हो गया है, लेकिन दुकानों, रेस्टोरेंट, ढाबों, होटलों के बाहर नाम और पहचान की नेमप्लेट लगाने का जो आदेश जारी हुआ है, उसका खूब विरोध हो रहा है।

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी की विरोधी प्रतिक्रिया के बाद अब बाबा रामदेव भी इस विवाद में कूद गए हैं। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जब बाबा रामदेव को अपनी पहचान किसी को बताने में समस्या नहीं है तो रहमान को दिक्कत क्यों होगी? अपने नाम पर गर्व होता है। मुझे है, सभी को होता है। इसे छिपाने की जरूरत नहीं है, बस अपना काम साफ होना चाहिए।

योगी सरकार ने जारी किया यह आदेश

बता दें कि उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने सावन के महीने और कांवड़ यात्रा को देखते हुए एक आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत योगी सरकार ने कहा है कि कांवड़ यात्रा वाले रूट पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट और दुकानदार अपने नाम और पहचान वाले बोर्ड लगाने को कहा गया है। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने भी योगी आदित्यनाथ सरकार के इस आदेश के अपने यहां लागू कर दिया है।

योगी सरकार ने तीर्थ यात्रियों की शुद्धता बरकरार रखने के लिए अपने आदेश में यह भी कहा कि हलाल सर्टिफिकेट के साथ प्रोडक्ट बेचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड पुलिस ने भी नेमप्लेट नहीं लगाने पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। योगी सरकार ने फैसले को सबसे पहले मुजफ्फरनगर में लागू किया। पुलिस को फैसले का पालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए।

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विरोध जताते हुए यह सब कहा गया

योगी सरकार का नेमप्लेट वाला फैसला सामने आते ही विपक्षी दल आक्रामक हो गए। विपक्षियों का कहना है कि योगी सरकार का फैसला सांप्रदायिकता के खिलाफ है। विभाजनकार नीतियों को बढ़ावा देता है। हिंदुओं को भी अपने धर्म की पवित्रता और शुद्धता बनाए रखने का पूरा अधिकार है। योगी सरकार के इस तरह के फैसले लेने से पहले सभी धर्मों और धार्मिक नियमों का ख्याल रखना चाहिए, लेकिन योगी सरकार इस फैसले को पूरे प्रदेश में लागू करने पर विचार कर रही है, जो सही नहीं है।

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