कंचे वाली बोतल तो याद ही होगी! मगर क्या जानते हैं उसकी कहानी? कभी अमीरों का शौक था बंटा
Banta or Goli Soda Story: गर्मी से राहत पाने के लिए लोग अलग-अलग ड्रिंक्स ट्राई करते हैं। हालांकि चिलचिलाती धूप में बंटा पीना आज भी ज्यादातर लोगों की पहली पसंद होती है। खासकर गर्मियों में बंटा देश के हर गली मोहल्लों में देखने को मिल जाता है। कुछ जगहों पर इसे 'लेमन जूस' तो कहीं इसे 'गोली सोडा' के नाम से पहचानते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि बंटा भारत में कब और कहां से आया?
बंटा का नाम लेते ही कई लोगों के बचपन की यादें ताजा हो जाती है। शायद ही कोई हो, जिसने बचपन में बंटा ना पिया हो। ज्यादातर बच्चे इसे कंचा या कंचे वाली बोतल भी कहते थे। बच्चे अक्सर कंचा मिलने की लालच में बंटा पीते थे साथ ही वो अपने मनपसंद रंग का बंटा चुनने में भी बिल्कुल समय नहीं लगाते थे। हालांकि क्या आप जानते हैं कि बंटा विदेश से भारत में आया है।
बंटा का पहला ब्रांड
दरअसल गर्मी में हर भारतवासी का पसंदीदा ड्रिंक बनने वाला बंटा इस देश का नहीं है। 1860 के दशक में ब्रिटिशर्स इसे इग्लैंड से भारत लाए थे। उस समय में बंटा सिर्फ मुंबई में ही मिलता था। वहीं पल्लोंजी सोडा बंटा के शुरुआती ब्रांड में से एक था। हालांकि ये ब्रांड काफी महंगा था, जिसके कारण पल्लोंजी सोडा का लुत्फ सिर्फ अमीर लोग ही उठा सकते थे। खासकर ब्रिटिश अफसरों से लेकर उनके बच्चों तक सभी गर्मियों में कूल रहने के लिए बंटा पीते थे। वहीं पल्लोंजी सोडा अक्सर अमीरों की पार्टियों की भी शान हुआ करता था।
भारत में बढ़ी लोकप्रियता
यही वजह है कि बंटा की मांग देश में दिन ब दिन बढ़ती गई। 1880 के दशक में ड्यूक और अर्देशिर नाम के दो अन्य ब्रांड सामने आए। पल्लोंजी की तुलना में ये दोनों ब्रांड काफी सस्ते थे और देश की ज्यादातर आबादी ने इन्हीं ब्रांड के सोडे पीने शुरू कर दिए। कुछ ही दिनों में बंटा सभी का फेवरेट हो गया। खासकर बच्चों में बंटा का चस्का बढ़ता गया और कुछ ही दिनों में ये मुंबई की बजाए सभी बड़े शहरों में बिकने लगा।
आज भी है सभी का फेवरेट
पहले बंटा की बोतलें देश में विदेशों से मंगाई जाती थीं। मगर बढ़ती लोकप्रियता के साथ बंटा को देश में ही बनाया जाने लगा। इन्हें कांच की बोतलों में पैक करके ऊपर से कंचा लगा दिया गया। लगभग 160 साल बाद भी बंटा बच्चों का फेवरेट है। गर्मी के दिनों में बंटा देखकर किसी को अपना बचपन याद आ जाता है तो कोई फिर से बचपन जीने की लालच में बंटा की दुकान पर दौड़ा चला जाता है। अब आलम ये है कि मार्किट में मसाला सोडा जैसे अनगिनत विकल्प मौजूद हैं। मगर गर्मी में बंटा की दुकानों पर अक्सर लोगों की लंबी लाइनें लग जाती है।