CAA लागू होने के बाद क्या-क्या आएंगे बदलाव? आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर
Impact After CAA Implementation: लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक हैं और गृहमंत्री अमित शाह हमेशा यह दावा करते आए हैं कि इन चुनावों से पहले देश में CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया जाएगा। भारत की मोदी सरकार के लिए यह मुद्दा हमेशा से ही बड़ा रहा है। ऐसे में खबर आ रही है कि सरकार आज CAA लागू होने को लेकर लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है। अब सवाल उठता है कि CAA लागू होने के बाद क्या बदलाव आएंगे।
खबर है कि इसके लागू होने के बाद कई तरह के बड़े बदलाव आएंगे जिनका असर आम आदमी पर भी पड़ेगा।
Breaking news :- CAA ka notification aaj aa raha hai ! #CAA pic.twitter.com/cZeHd2xHVU
— PretMeena (@PretMeena) March 11, 2024
इन्हें मिल जाएगी नागरिकता
CAA के कानून को देखा जाए तो इसके अंतर्गत पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारत कि नागरिकता मिल जाएगी। हालांकि, कुछ लोगों का इसपर कुछ अलग कहना है क्योंकि इस लिस्ट में मुसलामानों को नहीं जोड़ा गया। इससे साफ है कि CAA लागू होने के बाद देश की नागरिकता देने का पूरा अधिकार केंद्र सरकार के पास आ जाएगा।
यह भी पढ़ें: CAA Rules: क्या है CAA? जिस पर आज रात तक जारी हो सकता है नोटिफिकेशन
सरकार के सूत्रों का कहना है कि आज (11 मार्च) पीएम नरेंद्र मोदी लाइव आकर CAA लागू करने का ऐलान कर सकते हैं।
🚨 India Announced Notification for CAA
4 Years After Bill Passed, CAA is Finally Becoming Reality Today to Give Citizenship to 6 Minorities from 3 Countries
• Afghanistan 🇦🇫
• Bangladesh 🇧🇩
• Pakistan 🇵🇰Congratulations to India & Everyone 🇮🇳
— Ravisutanjani (@Ravisutanjani) March 11, 2024
किसे होगा नुकसान?
इस कानून के लागू होने से किसी को सीधा नुकसान नहीं होगा। हालांकि, पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों की देश में एंट्री से भारत की आबादी में इजाफा होगा। इस समय भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। इन लोगों के आने पर देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और देश की जनता पर भी इसका असर पड़ेगा।
कहा जा रहा धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन
इसपर धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होने के आरोप लगाए गए हैं। आपको बता दें कि देश के संविधान के मुताबिक, भारत में किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। हालांकि, इस कानून में मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है जिस वजह से इसे धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करने से जोड़ा जा रहा है।