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CAA लागू होने में क्यों लगे चार साल? 2019 में संसद से हो गया था पारित, कहां आईं अड़चनें

CAA Notification: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू होने में इतना समय क्यों लगा? इसके समय पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने सरकार पर इसे लेकर हमला बोला है। आइए जानते हैं कि सीएए को लागू हाेने में पांच साल का समय क्यों लग गया।
06:00 AM Mar 12, 2024 IST | Pushpendra Sharma
caa लागू होने में क्यों लगे चार साल  2019 में संसद से हो गया था पारित  कहां आईं अड़चनें
CAA

CAA Notification: देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है। सोमवार को इसका नोटिफिकेशन जारी हो गया। हालांकि कांग्रेस ने इसकी 'टाइमिंग' पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि ये सब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया गया है। आइए आपको बताते हैं कि सीएए को लागू करने में इतनी देरी क्यों हुई।

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2019 में संसद से पास हो गया था सीएए 

दरअसल, सीएए दिसंबर 2019 में ही संसद से पारित हो गया था। विधेयक को राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई, लेकिन सीएए को लेकर देशभर के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। शाहीन बाग में भी सीएए को लेकर प्रदर्शन किए गए।

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कई लोगों का कहना था कि इससे उनकी नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी, लेकिन केंद्र सरकार ने ये स्पष्ट किया कि ये नागरिकता देने वाला कानून है, नागरिकता लेने वाला नहीं। हालांकि इसके बावजूद प्रदर्शन होते रहे।

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कोरोना महामारी की वजह से अटका 

विपक्ष ने भी इसका जमकर विरोध किया। इस दौरान कोरोना का प्रकोप रहा। फिर इसमें लगातार समय लगता चला गया। हालांकि इस बीच सीएए का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन शीर्ष कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद इसके लिए रास्ता साफ होता चला गया। सरकार ने अब न सिर्फ लोगों की गलतफहमियों को दूर करने का काम किया है, बल्कि इसे लेकर अपनी स्थिति भी स्पष्ट कर दी है। बीजेपी ने इसे हमेशा अपने मुख्य एजेंडे में शामिल किया है।

कई राज्यों में विरोध 

हालांकि सीएए को लेकर कई राज्यों ने विरोध भी किया है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर जाति या धर्म के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव होता है तो सीएए को लागू नहीं किया जाएगा। वहीं केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा है कि हम सीएए को लागू नहीं होने देंगे। सीएम विजयन का तर्क है कि सीएए मुस्लिमों को दोयम दर्जे का मानता है, इसलिए इसे लागू नहीं किया जाएगा।

क्या है प्रावधान? 

सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इसकी शर्त के तहत हिंदू, जैन, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि इसमें 31 दिसंबर 2014 से पहले आए अल्पसंख्यकों को ही पात्र माना गया है। साथ ही इसमें मुस्लिम शामिल नहीं हैं। ऐसे में विपक्ष ने सरकार पर भेदभाव का भी आरोप लगाया है।

किस तरह करना होगा आवेदन?

सीएए के तहत एक वेब पोर्टल पर आवेदन करना होगा, जिसके बाद गृह मंत्रालय सभी डॉक्यूमेंट्स की जांच पड़ताल करने के बाद भारतीय नागरिकता देगा। हालांकि नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत पहले भी भारतीय नागरिकता दी जाती रही है, लेकिन सीएए के लागू होने से पड़ोसी मुल्कों से प्रताड़ित होकर आए नागरिकों को पहले के मुकाबले नागरिकता मिलना काफी आसान होगा। इसके तहत अवैध प्रवासियों को भी मुश्किलें हो सकती हैं। उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा।

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