खून से खत लिखा, 10 साल पुराना वादा यादा कराया; जानें भाजपा विधायक ने PM मोदी से क्यों जताई नाराजगी?
BJP MLA Wrote Letter to PM Modi With Blood: भाजपा जहां लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी है, वहीं भाजपा के एक मौजूदा विधायक ने प्रधानमंत्री मोदी से नाराजगी जताई है। विधायक ने प्रधानमंत्री को अपने खून से एक लेटर लिखा है। इस लेटर में उन्होंने PM मोदी को 14 साल पुराना वादा याद दिलाया और अपील की कि प्रधानमंत्री 14 साल पहले 10 अप्रैल 2014 को किया वादा निभाएं। मामला गोरखों के मुद्दों से जुड़ा है और खून से लेटर लिखने वाले विधायक पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के दार्जिलिंग से भाजपा विधायक नीरज जिम्बा हैं।
#BJP MLA from #Darjeeling constituency Neeraj Zimba writes a letter to PM Narendra Modi with his own blood demanding permanent political solution in the hills & granting Scheduled Tribe status to 11 Gorkha Communities @NeerajZimba pic.twitter.com/Cu6yxQaOQH
— Pooja Mehta (@pooja_news) March 3, 2024
गोरखाओं को अनुसूचित दर्जा देने की मांग
नीरज जिम्बा ने खून से लिखे लेटर में लिखा कि गोरखाओं के सपने मेरे सपने हैं। प्रधानमंत्री मोदी गोरखा मुद्दों में उच्च स्तर पर हस्तक्षेप करके मामला सुलझाएं। PM मोदी ने 10 अप्रैल 2014 को सिलीगुड़ी के पास खपरैल में एक रैली में शिरकत की थी। इस रैली में उन्होंने घोषणा की थी कि गोरखाओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने अपने लेटर में गोरखाओं की उपेक्षा और अलग गोरखालैंड राज्य बनाने के मुद्दे पर प्रकाश डाला, जबकि TMC ने राज्य के विभाजन और गोरखालैंड के निर्माण का विरोध किया है। बावजूद इसके अलग गोरखालैंड की मांग उठती रही है और हर बार मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
"Gorkhas are not seeking division of the state, we are rather only seeking demerger of those areas that have been forcefully made a part of the WB State following the Absorbed Areas Act 1954". - #Darjeeling MLA @NeerajZimba at the WB Legislature
FULL: https://t.co/ulUIZHv0uj pic.twitter.com/gJtrDunb80
— The Darjeeling Chronicle (@TheDarjChron) February 20, 2023
गोरखालैंड की मांग को लेकर होते रहे हैं आंदोलन
विधायक जिम्बा ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक और स्थायी समाधान ढूंढकर गोरखाओं के 11 समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर गोरखाओं के मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता दिखाएं। लद्दाखियों, कश्मीरियों, मिज़ोस, नागाओं और बोडोज़ को न्याय दिया गया है, लेकिन गोरखा आज तक उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं।
1980 के दशक से अलग गोरखालैंड राज्य का मुद्दा राजनीति पर हावी रहा है। इस मांग को लेकर हिंसक आंदोलन भी हुए हैं। 2017 में 100 दिन की आर्थिक नाकेबंदी के दौरान 11 लोगों की जान चली गई थी। 2019 में भाजपा ने 11 पहाड़ी समुदायों को आदिवासी दर्जा देने का वादा किया, लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया।
Time has come for justice to be delivered to the Indian Gorkhas.
We fervently await justice from the Hon'ble Prime Minister. I urge him to fulfill the promises made in a timely manner, ensuring that justice is not only served but also seen to be served.@followers @highlight pic.twitter.com/EEDe1511EL— Neeraj Tamang Zimba (@NeerajZimba) March 3, 2024