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ससुर ने की लव मैरिज, बहु को मिली ये सजा; पंचायत का हैरान कर देने वाला फैसला

इस मामले में ससुर ने समाज की इजाजत के बिना प्रेम विवाह कर लिया था। इसलिए उन पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, नहीं चुकाने पर बहू के खिलाफ फैसला सुनाया गया है।
06:53 PM Sep 27, 2024 IST | Rahul Pandey
ससुर ने की लव मैरिज  बहु को मिली ये सजा  पंचायत का हैरान कर देने वाला फैसला
आष्टी पुलिस स्टेशन

Shocking verdict of Panchayat: महाराष्ट्र के बीड जिले में जात पंचायत ने हैरान करने वाला फैसला सुनाया है। यहां के आष्टि पुलिस स्टेशन में सास ससुर के प्रेम विवाह की सजा बहु को दी गई है। दरअसल,  इस शादी के लिए समाज की इजाजत नही ली गयी थी। जिसके बाद जात पंचायत बुलाकर बहु की सात पीढ़ियों का बहिष्कार कर दिया है।

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क्या है पूरा मामला 

ये पूरा मामला बीड जिले के आष्टी के डोईठाणे गांव का है। यहां 22 सितंबर को पंचायत बुलाकर बहिष्कार प्रस्ताव पारित किया गया है। मामला सामने आने के बाद अष्टि पुलिस ने 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन सभी के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार अधिनियम 2016 की धारा 4, 5, 6 और बीएनएस 189 (2), 351 (2) (3), 352 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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ससुर ने समाज की इजाजत के बिना किया प्रेम विवाह

इस मामले में ससुर ने समाज की इजाजत के बिना प्रेम विवाह कर लिया था। इसलिए उन पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, नहीं चुकाने पर उन्होंने बहू के साथ बेटे को भी जाति पंचायत में बुलाया। जब दोनों ने भी पैसा भरने में असमर्थता दिखाई तो पंचों ने परिवार को सात पीढ़ियों तक समाज से बहिष्कृत करने का आदेश दिया। पहले तो मामले को दबाने की कोशिश की गई। लेकिन आष्टी पुलिस स्टेशन को इसकी भनक लग गई और पंचायत से जुड़े लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई।

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पहले ससुर पर लगाया गया था  2.50 लाख का जुर्माना लगाया 

पीड़ित का नाम मालन शिवाजी फुलमाली (32 वर्ष) है। मालन के ससुर नरसु फूलमाली ने समाज की अनुमति के बिना प्रेम विवाह किया है। ससुर के प्रेम विवाह के बाद जाति पंचायत बैठाई गई। इसमें नरसू फुलमाली पर 2.50 लाख का जुर्माना लगाया गया। लेकिन कई साल बाद भी उन्होंने यह जुर्माना नहीं भरा। इसलिए, 21 सितंबर, 2024 को अहमदनगर के नेवासा तालुका में रहने वाले शिवाजी पालवे के माध्यम से मालन को जाति पंचायत में बुलाया गया। जानकारी के अनुसार इस पंचायत में मालन अपने पति शिवाजी और बच्चों के साथ पहुंची थीं। बताया जा रहा है कि पंचायत में पहले से ही समुदाय के 800 से 900 लोग मौजूद थे। उस दिन तो कोई निर्णय नहीं हुआ, फिर 22 सितंबर को दोबारा जाति पंचायत बुलाई गई। जहां बहिष्कार करने का फैसला सुनाया गया।

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