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सपना सच करने में जुटे इंजीनियर ने बदल दी पूरे गांव की तस्वीर! ड्रोन से क्या कनेक्शन?

Drone Business Success Story Dheeraj Borde: महाराष्ट्र के यवतमाल गांव के रहने वाले एक शख्स धीरज बोर्डे ने पुणे MIT से इंजीनियरिंग की। सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी की। वहां मन नहीं लगा तो घर की तरफ वापसी कर ली। घर वालों ने साथ देने से इनकार कर दिया। तमाम मुश्किलों को मात देकर धीरज ने अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर ली।
03:44 PM Oct 13, 2024 IST | Sakshi Pandey
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Dheeraj Borde Success Story: 27 साल के धीरज बोर्डे का नाम महाराष्ट्र के सफल बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार है। धीरज और उनका ड्रोन पूरे इलाके में मशहूर है। ड्रोन की मदद से खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करने वाले धीरज बोर्डे काफी संघर्षों के बाद कामयाबी के मुकाम पर पहुंचे हैं। धीरज के लिए यह सफर आसान नहीं था। इंजीनियरिंग करने के बाद अच्छी कंपनी में नौकरी लगी। कोरोना ने दस्तक दी और धीरज अपना बिजनेस शुरू करने के रास्ते पर चल पड़े। परिवार ने साथ नहीं दिया, लेकिन धीरज ने हिम्मत नहीं हारी और लगे रहे।

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फेल हुए 2 स्टार्टअप

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार धीरज बोर्डे ने पुणे MIT ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। मैथ्स उनका पसंदीदा सब्जेक्ट था। लिहाजा धीरज सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण धीरज ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और इन्हीं पैसों से सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई शुरू कर दी। इस दौरान धीरज ने 2 स्टार्टअप की नींव रखी, लेकिन उन्हें विफलता ही हाथ लगी।

Pic Credit: Express Photo

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मजबूरी में की नौकरी

धीरज का कहना है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के दौरान ही वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की सोच रहे थे, मगर परिवार ने उनका साथ नहीं दिया। ऐसे में उन्हें सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई खुद अपने पैसों से करनी पड़ी। पढ़ाई पूरी होने के बाद धीरज को बेंगलुरु की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिली। मगर धीरज अपना बिजनेस करना चाहते थे। परिवार ने इसकी इजाजत नहीं दी और उन्होंने नौकरी के लिए हामी भर दी।

Pic Credit: Express Photo

कोरोना में सीखी कोडिंग

बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर धीरज अच्छा पैसा कमा रहे थे। इसी बीच कोरोना महामारी की एंट्री हुई। धीरज गांव वापस आ गए। घर पर रहते हुए उन्होंने ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को समझा और कोडिंग सीखी। धीरज ने नौकरी छोड़कर ब्लॉकचेन स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। धीरज यह फैसला सभी को बेवकूफी वाला लगा। माता-पिता बेटे के भविष्य को लेकर डरे हुए थे। आसपास के लोगों ने धीरज के काम को टाइम पास कहना शुरू कर दिया था। मगर धीरज ने हरा नहीं मानी और डटे रहे।

ड्रोन से छिड़का कीटनाशक

धीरज ने ड्रोन में पैसे निवेश किए। इस ड्रोन से उन्होंने खेतों में फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव किया। धीरज अपनी कार में रहते थे। वहीं वो सोने के लिए जिला परिषद स्कूल और सामुदायिक हॉल चले जाते थे। धीरज के साथ सिर्फ उनका एक ड्रोन था। देखते ही देखते कुछ महीनों में उनका बिजनेस चल पड़ा।

Pic Credit: Express Photo

मशहूर हुआ 'मामा ड्रोन' 

धीरज की कंपनी का नाम 'मामा ड्रोन' है। सोशल मीडिया की मदद से मामा ड्रोन कंपनी मशहूर हो गई और इसे बड़े-बड़े ऑर्डर मिलने लगे। मामा ड्रोन के 2 ऑफिस खुल चुके हैं, पहला धीरज के गांव यवतमाल में और दूसरा ऑफिस छत्रपति संभाजी नगर में मौजूद है। फसलों पर छिड़काव करने के अलावा मामा ड्रोन कंपनी ड्रोंस के स्पेयर पार्ट्स भी बेचती है और साथ ही कई लोगों को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

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