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दुर्योधन हर साल सरकार को देता है करोड़ों का टैक्स, यहां होती है महाभारत के खलनायक की पूजा

Duryodhan peruviruthy malanada Temple in Kerala: महाभारत काल से जुड़े पांडवों की पूजा के किस्से आपने कई बार सुने होंगे। मगर क्या आपने कभी कौरवों की पूजा होते हुए देखी है। कौरवों के सरदार और महाभारत के विलेन दुर्योधन को आज भी देश के एक गांव में पूजा जाता है। यही नहीं, भारत सरकार के कर दाताओं में दुर्योधन का नाम भी शामिल है।
10:49 AM Jun 28, 2024 IST | Sakshi Pandey
दुर्योधन हर साल सरकार को देता है करोड़ों का टैक्स  यहां होती है महाभारत के खलनायक की पूजा
Duryodhan peruviruthy malanada Temple

Duryodhan Temple in Kerala: महाभारत के कई पात्रों को देश के अलग-अलग कोनों में पूजा जाता है। तमिलनाडु के मामल्लपुरम मंदिर में द्रौपदी सहित पांचों पांडव के रथ मौजूद हैं। तो हिमाचल प्रदेश के मनाली में भीम की राक्षसी पत्नी हिडिंम्बा देवी का मंदिर देखा जा सकता है। मगर क्या आप जानते हैं कि देश के एक राज्य में महाभारत के खलनायक दुर्योधन का भी मंदिर है। जहां लोग दुर्योधन को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं और उसे प्यार से 'दादा' कहकर बुलाते हैं। यही नहीं दुर्योधन के नाम से भारत सरकार को करोड़ों का टैक्स भी मिलता है। आइए जानते हैं क्या है दुर्योधन के इस मंदिर का रहस्य?

नशीले पदार्थ का लगता है भोग

केरल के कोल्लम जिले से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव में दुर्योधन का भव्य मंदिर बना है। इस मंदिर में दुर्योधन को देवता की तरह पूजा जाता है। साथ ही उसे नशीले पदार्थों का भोग लगता है। प्रसाद के रूप में ताड़ी का वितरण होता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मंदिर और उसके आस-पास की जमीन दुर्योधन की है। वहीं दुर्योधन हर साल भारत सरकार को करोड़ों रुपये का टैक्स चुकाता है।

क्या है स्थानीय मान्यता?

दुर्योधन जातिवाद में यकीन नहीं रखता था। इसका प्रमाण महाभारत में भी मौजूद है। दुर्योधन ने नीची जाति से ताल्लुक रखने वाले कर्ण को सिंहासन पर बिठाकर राजा की उपाधि दी थी। इसी कड़ी में कोल्लम के इस गांव में भी दुर्योधन को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार एक बार यात्रा के दौरान दुर्योधन काफी थक गया था और उसे बहुत जोर की प्यास लगी थी। दुर्योधन के पास पीने का पानी नहीं था। ऐसे में एक नीची जाति की महिला ने दुर्योधन को पानी पिलाया था। महिला से खुश होकर दुर्योधन ने उसे एक गांव उपहार में दिया था। इसी गांव में अब दुर्योधन का मंदिर है और गांव को लोग दुर्योधन की धरोहर मानते हैं।

दुर्योधन के मंदिर का नाम है 'पेरिविरुथी मलानाडा'

दुर्योधन के इस मंदिर का नाम 'पेरिविरुथी मलानाडा' है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां दुर्योधन की मूर्ति नहीं है बल्कि उसका पंसदीदा शस्त्र गदा मौजूद है। इसी गदे को लोग दुर्योधन के रूप में पूजते हैं। आमतौर पर जहां दुर्योधन को महाभारत का कट्टर खलनायक बताया जाता है। वहीं कोल्लम के लोग उसे सौम्य स्वाभाव वाला दयालु देवता मानते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार दुर्योधन आज भी उनकी रक्षा करता है। यही वजह है कि गांव के लोग उसे 'अप्पूपा' (दादा) कहकर बुलाते हैं।

सरकार को टैक्स देता है दुर्योधन

वैसे तो भारत सरकार किसी भी मंदिर पर टैक्स नहीं लगाती है। इसलिए पेरिविरुथी मलानाडा मंदिर को भी टैक्स नहीं देना पड़ता है। मगर मंदिर के आस-पास मौजूद 15 एकड़ जमीन पर सालों से कर लगता आया है। गांव के लोग दुर्योधन के नाम से ही ये टैक्स जमा करते हैं और सरकारी खाते में दुर्योधन के नाम से करोड़ों का टैक्स आता है।

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