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कंधार हाईजैक में कहां चूक गई वाजपेयी सरकार? छोड़ने पड़े आतंकी, पूर्व रॉ चीफ ने बताया पूरा सच

IC814 The Kandahar Hijack: दिलचस्प ये है कि पंजाब के डीजीपी सरबजीत सिंह ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि अगर दिल्ली से साफ निर्देश मिले होते तो वह जरूर कोई फैसला लेते। इस पर दुलत ने कहा कि मैं उनसे सहमत हूं, लेकिन उन्होंने किया क्या होता, मैं नहीं जानता।
09:04 AM Sep 04, 2024 IST | Nandlal Sharma
कंधार हाईजैक में कहां चूक गई वाजपेयी सरकार  छोड़ने पड़े आतंकी  पूर्व रॉ चीफ ने बताया पूरा सच
नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हो रही इस सीरीज ने कई सारे सवालों को फिर से जिंदा कर दिया है।

IC814 The Kandahar Hijack: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान 1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण कांड पर पूर्व रॉ प्रमुख एएस दुलत ने चौंकाने वाला दावा किया है। बता दें कि इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 के अपहरण कांड पर नेटफ्लिक्स ने एक सीरीज बनाई है, जिसका निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया है। इस विमान अपहरण कांड को कंधार हाईजैक के नाम से भी जाना जाता है। नेटफ्लिक्स पर इस सीरीज के प्रसारण के बाद भारत में बवाल मचा हुआ है। बहस शुरू हो गई है। हाईजैकिंग प्रकरण को डील करने को लेकर तत्कालीन सरकार और विभिन्न जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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इस बीच पूर्व रॉ (RAW - Research and Analysis Wing) प्रमुख एएस दुलत ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि कंधार हाईजैकिंग के दौरान निर्णय लेने में गलतियां हुईं। बता दें कि विमान के अपहरण के समय एएस दुलत ही रॉ प्रमुख थे। दुलत ने कहा कि एक बार जब विमान अमृतसर में लैंड कर गया तो हमारे पास मौका था कि हम उसे भारत छोड़ने नहीं देते, लेकिन जब वह अमृतसर से उड़ गया तब हमारे पास डील करने के लिए सिवा कोई चारा नहीं था। हमने सर्वथा उपयुक्त समझौता किया और इसे बेहतरीन लोगों ने अंजाम दिया। उन्होंने कहा, 'उस समय कोई फैसला नहीं लिया गया। मैंने कई बार यह कहा है। यहां तक कि जब हाईजैकिंग हो रही थी, हमने अमृतसर में गलती की।'

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अमृतसर एयरपोर्ट पर 50 मिनट रहा विमान

बता दें कि इंडियन लाइंस के विमान IC 814 ने नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, जिसे 24 दिसंबर 1999 को पांच आतंकियों ने भारतीय आसमान से अगवा कर लिया। हालांकि ईंधन भरवाने के लिए प्लेन अमृतसर में उतरा और एयरपोर्ट पर 50 मिनट तक खड़ा रहा। बावजूद इसके प्रशासन, पंजाब पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियां इस मौके का फायदा नहीं उठा सकीं। दुलत ने कहा कि हम सब वहां मौजूद थे। हमें फैसला लेना चाहिए था। मैं किसी पर आरोप नहीं लगा रहा। इतने वर्षों के बाद यह ठीक नहीं है। किसी और की तरह की मैं भी जिम्मेदार हूं।

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डीजीपी, सीएम और रॉ चीफ

उन्होंने कहा, 'मैंने पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सरबजीत सिंह से लंबी बातचीत की, जिन्होंने मुझसे कहा कि वे केपीएस गिल नहीं हैं। और वे अपनी नौकरी को दांव पर नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने डीजीपी से कहा था कि वे अमृतसर में खून खराबा नहीं चाहते हैं। यहां तक कि दिल्ली की सरकार का भी यही इशारा था। डीजीपी ने मुझसे कहा था कि हम प्लेन पर हमला कर देंगे, लेकिन मैं नहीं जानता कि कितने लोग मारे जाएंगे। साफ है कि खून खराबा के नाम पर कोई भी फैसला लेने को तैयार नहीं था।'

'दिल्ली नहीं ले पाई कोई फैसला'

दुलत ने कहा कि पंजाब पुलिस को यह कहा जाना चाहिए था कि इंडियन एयरलाइंस का विमान अमृतसर से किसी भी हालत में उड़ना नहीं चाहिए। जोकि नहीं हुआ। दिलचस्प ये है कि पंजाब के डीजीपी सरबजीत सिंह ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि अगर दिल्ली से साफ निर्देश मिले होते तो वह जरूर कोई फैसला लेते। इस पर दुलत ने कहा कि मैं उनसे सहमत हूं, लेकिन उन्होंने किया क्या होता, मैं नहीं जानता। उनकी बात सही है, जब वे कहते हैं कि वह दिल्ली के फैसले का इंतजार कर रहे थे, जो कि कभी हुआ ही नहीं।

IC 814 हाईजैकिंग में ISI की भूमिका

इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण मामले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका के बारे में एएस दुलत ने कहा कि निश्चित तौर पर आईएसआई शामिल थी। इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही हमारी रिपोर्ट्स में आईएसआई की भूमिका का जिक्र नहीं हो, लेकिन पाकिस्तानी पत्रकारों ने इस बारे में रिपोर्ट किया है। ये पत्रकार उस समय कंधार में मौजूद थे, जिन्होंने लिखा है कि कोई भी पूरे प्रकरण में आईएसआई की भूमिका की पहचान कर सकता है कि किस तरह उन्होंने पूरे ऑपरेशन को कंट्रोल किया।

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