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क्या है ब्रॉडबैंड नेटवर्क घोटाला? जिस पर गोवा विधानसभा में मचा हंगामा, विपक्ष ने की जांच की मांग

GOA Assembly Session News: गोवा विधानसभा का सत्र इस बार काफी हंगामेदार रहा है। एक घोटाले का मामला काफी छाया हुआ है। विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस घोटाले की जांच नहीं करवाई तो वे लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। विस्तार से मामले के बारे में जानते हैं।
05:39 PM Aug 02, 2024 IST | Rahul Pandey
क्या है ब्रॉडबैंड नेटवर्क घोटाला  जिस पर गोवा विधानसभा में मचा हंगामा  विपक्ष ने की जांच की मांग

GOA Assembly Session: गोवा में इस बार विधानसभा का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा है। विपक्ष मौजूदा सरकार पर एक के बाद एक कई गंभीर आरोप लगा रहा है। अब ब्रॉडबैंड नेटवर्क को लेकर गोवा सरकार में IT मंत्री विपक्ष के रडार पर हैं। विपक्ष ने कुल 182 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। इसको लेकर विपक्ष ने न्यायिक जांच की मांग की है। वहीं, जांच न करवाने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात विपक्ष के नेता कर रहे हैं।

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182 करोड़ के घोटाले का आरोप

गोवा फारवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने विधानसभा में गोवा के आईटी मंत्री रोहन खौंटे पर कथित रूप से 182 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है। जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को भी घसीटा है। विधानसभा में विजय सरदेसाई ने रोहन खौंटे पर यूनाइटेड टेलीकॉम लिमिटेड (UTL) के साथ गोवा ब्रॉडबैंड नेटवर्क (GBBN) अनुबंध को गलत तरीके से करार किए जाने का आरोप लगाया है। जिससे भ्रष्टाचार और प्रशासनिक कदाचार का गहरा गठजोड़ होने का संकेत मिलता है।

विजय सरदेसाई ने कथित घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की है और सरकार द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी गई है। विजय सरदेसाई की माने तो जुलाई 2019 में UTL के साथ GBBN का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो गया था। नई कंपनी के साथ करार करने के बजाय कॉन्ट्रैक्ट को एक साल तक बढ़ा दिया गया। इसके लिए उन्होंने कैबिनेट की मंजूरी लेने की भी आवश्यकता भी नहीं समझी।

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कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था खराब

विजय सरदेसाई ने कैग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 2015 की रिपोर्ट में इसे खराब और अस्थिर कनेक्टिविटी के लिए चिह्नित किया गया था। सेवा प्रदाता को बदलने के लिए प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (PwC) की सिफारिशों और तकनीकी विचलन और उच्च शुल्क के बारे में वित्त विभाग की चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया और सरकार ने जुलाई 2027 तक अनुबंध बढ़ा दिया।

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