पन्नूं केस में अमेरिकी राजदूत की 'रेड लाइन' पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर, बताया भारत का रुख
भारत के लिए अमेरिका के राजदूत एरिक गारसेटी ने हाल ही में खलिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की कोशिश के कथित मामले को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिका और भारत इसकी जांच में मिलकर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि रेड लाइन क्रॉस नहीं करनी चाहिए और किसी विदेशी नागरिक की हत्या की कोशिश में कोई देश या किसी देश के कर्मचारी की संलिप्तता स्वीकार नहीं की जा सकती है। वहीं, इसे लेकर अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान आया है।
"No government or its employee can be involved in the alleged assassination of another country's citizen, which is “just an unacceptable red line", says US Ambassador Eric Garcetti in intv to ANI. https://t.co/x3Owl7zpIl
— Suhasini Haidar (@suhasinih) April 1, 2024
समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जयशंकर ने कहा कि एक राजदूत के तौर पर गारसेटी जो कहते या सोचते हैं वह उनकी सरकार की स्थिति बताता है। हमारी स्थिति इसे लेकर अलग है। जयशंकर ने आगे कहा कि इस मामले में हमारी सरकार का रुख यह है कि हमें कुछ अहम जानकारी मिली है जिसकी हम जांच कर रहे हैं। बता दें कि गारसेटी ने कहा था कि कोई भी सरकार या उसका कर्मचारी अपने ही नागरिक की हत्या में शामिल नहीं हो सकता है। यह एक ऐसी 'रेड लाइन' है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।
#WATCH | EAM Dr S Jaishankar responds to US Ambassador Eric Garcetti's 'red line' statement on Pannun case made in ANI podcast
"The US ambassador as an ambassador will say what he thinks is the position of his govt. The position of my govt is that in this particular case, there… pic.twitter.com/n8qt38jWLv
— ANI (@ANI) April 1, 2024
'कच्चातिवु द्वीप के लिए कांग्रेस जिम्मेदार'
इसके अलावा कच्चातिवु द्वीप को लेकर भी जयशंकर ने बात की। उन्होंने कहा कि यह 1958 और 1960 की बात है। इस मामले में मुख्य लोग यह चाहते थे कि हमें कम से कम मछली के शिकार की अनुमति मिलनी चाहिए। यह द्वीप 1974 में और फिशिंग का अधिकार 1976 में चला गया था। देश की तत्कालीन सरकार और प्रधानमंत्रियों को इसकी परवाह नहीं थी। जयशंकर ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू ने 1961 में कहा था कि मैं इस छोटे से द्वीप को जरा भी महत्व नहीं देता और इस पर अपना दावा छोड़ने में बिल्कुल झिझक नहीं होगी।
#WATCH | Delhi: On the Katchatheevu issue, EAM Jaishankar says, "... We are talking about 1958 and 1960... The main people in the case wanted to make sure that at least we should get the fishing rights... The island was given away in 1974 and the fishing rights were given away in… pic.twitter.com/HYCIEjbz2A
— ANI (@ANI) April 1, 2024