पन्नूं केस में अमेरिकी राजदूत की 'रेड लाइन' पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर, बताया भारत का रुख

Jaishankar on US Ambassador's Statement in Pannu Case: खलिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश के कथित मामले में अमेरिका और भारत मिलकर जांच जरूर कर रहे हैं लेकिन दोनों के बीच विरोधाभास साफ देखने को मिल रहा है।

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US Ambassador Eric Garcetti And MEA S Jaishankar

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भारत के लिए अमेरिका के राजदूत एरिक गारसेटी ने हाल ही में खलिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की कोशिश के कथित मामले को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिका और भारत इसकी जांच में मिलकर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि रेड लाइन क्रॉस नहीं करनी चाहिए और किसी विदेशी नागरिक की हत्या की कोशिश में कोई देश या किसी देश के कर्मचारी की संलिप्तता स्वीकार नहीं की जा सकती है। वहीं, इसे लेकर अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान आया है।

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार जयशंकर ने कहा कि एक राजदूत के तौर पर गारसेटी जो कहते या सोचते हैं वह उनकी सरकार की स्थिति बताता है। हमारी स्थिति इसे लेकर अलग है। जयशंकर ने आगे कहा कि इस मामले में हमारी सरकार का रुख यह है कि हमें कुछ अहम जानकारी मिली है जिसकी हम जांच कर रहे हैं। बता दें कि गारसेटी ने कहा था कि कोई भी सरकार या उसका कर्मचारी अपने ही नागरिक की हत्या में शामिल नहीं हो सकता है। यह एक ऐसी 'रेड लाइन' है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।

'कच्चातिवु द्वीप के लिए कांग्रेस जिम्मेदार'

इसके अलावा कच्चातिवु द्वीप को लेकर भी जयशंकर ने बात की। उन्होंने कहा कि यह 1958 और 1960 की बात है। इस मामले में मुख्य लोग यह चाहते थे कि हमें कम से कम मछली के शिकार की अनुमति मिलनी चाहिए। यह द्वीप 1974 में और फिशिंग का अधिकार 1976 में चला गया था। देश की तत्कालीन सरकार और प्रधानमंत्रियों को इसकी परवाह नहीं थी। जयशंकर ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू ने 1961 में कहा था कि मैं इस छोटे से द्वीप को जरा भी महत्व नहीं देता और इस पर अपना दावा छोड़ने में बिल्कुल झिझक नहीं होगी।

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