हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के नियम बदले, 3 राज्यों में होंगे लागू; जानें क्या हैं नए Rules?
High Court Video Conference Hearing Rules Changed: हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियम और कानून बदल दिए गए हैं। आज 29 दिसंबर से महाराष्ट्र, गोवा, दादरा एंड नगर हवेली, दमन एंड दीव में प्रभावी हो गए हैं। नए नियमों को 'हाईकोर्ट ऑफ बॉम्बे रूल फ़ॉर वीसी फ़ॉर कोर्ट 2022' नाम से जाना जाएगा। यह नए नियम हाईकोर्ट की कार्यवाही तक आम लोगों की पहुंच को संभव बनाएंगे, यानि अब आम लोग भी कार्यवाही में हिस्सा ले सकेंगे।
नए नियम के तहत खुली अदालती कार्यवाही होगी। आम लोगों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही देखने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन उन कार्यवाहियों को लोग नहीं देख पाएंगे, जिन्हें किन्हीं कारणों से बंद कमरे में करने के आदेश होंगे। इसलिए यह नियम उन सभी न्यायिक कार्यवाहियों पर लागू होंगे, जिन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया जाना आवश्यक है। इस दौरान कार्यवाही के समय कोर्ट में शारीरिक रूप से उपस्थित होना जरूरी नहीं।
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सभी कोर्ट, ट्रिब्यूनल में लागू होंगे नए नियम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नए नियमों के तहत प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में है तो वह किसी नजदीकी जिला न्यायाधीश के सामने हाईकोर्ट की कार्यवाही में शामिल हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति जेल, रिमांड होम, ऑब्जर्वेशन रूम, महिला बचाव केंद्र या सरकारी अस्पताल में है तो वह पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में जाकर कार्यवाही में शामिल हो सकता है। इसके अलावा लोग कोर्ट की परमिशन से किसी अन्य जगह से भी कार्यवाही में शामिल हो सकता है।
इस नए नियम से हाईकोर्ट की सुनवाई की सुरक्षा और गोपनीयता भी सुनिश्चित होगी। इस नए नियम के तहत होने वाली सभी ऑनलाइन सुनवाई आधिकारिक मानी जाएंगी। फैमिली कोर्ट, लेबर कोर्ट, इंडस्ट्रियल कोर्ट, को-ऑपरेटिव कोर्ट, मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल और स्कूल ट्रिब्यूनल जैसी अदालतों में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के यह नियम लागू होंगे। नियम लागू करते समय नोटिफिकेशन में एक और बात स्पष्ट की गई है कि इस दौरान रिकॉर्डिंग करने पर प्रतिबंध रहेगा।
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कार्यवाही की गोपनीयता के लिए तय शर्तें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कार्यवाही में हिस्सा लेने के इच्छुक लोगों को कोर्ट से सरकारी प्रमाण-पत्र लेना होगा। अगर यह सर्टिफिकेट नहीं मिला तो एफिडेविट देना होगा। को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किए जाएंगे, जो टेक्निकल सिस्टम के लिए जिम्मेदार होंगे। सुनवाई में हिस्सा लेन के लिए इंटरनेट कनेक्शन वाला डेस्कटॉप या लैपटॉप चाहिए। सुनवाई के लिए इच्छुक कैंडिडेट सुनवाई से 30 मिनट पहले तैयार रहे। उसके पास कोई रिकॉर्डिंग डिवाइस नहीं होना चाहिए। विदेश में बैठे लोग भारतीय दूतावास के जरिए कार्यवाही में हिस्सा लेकर गवाही दे सकते हैं। खर्च इच्छुक कैंडिंडेट खुद उठाएगा।
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