घोर पाप! हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन; लाइसेंस रद्द होने के बावजूद मां का दूध बेच रही बेंगुलरु की कंपनी
Bengaluru Company Selling Human Milk: हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है, कंपनी का लाइसेंस भी रद्द है। बावजूद इसके कंपनी आदेशों का उल्लंघन करते हुए मां का दूध बेच रही है और ऐसा कर्नाटक सरकार की अनदेखी, लापरवाही के कारण हो रहा है। बेंगलुरु की कंपनी नियोलैक्टा लाइसेंस रद्द होने के बावजूद मानव दूध बेच रही है।
कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा द्वारा मां का दूध बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है। गत 24 मई को भी FSSAI ने भी देशभर की कंपनियों को चेतावनी दी थी कि मां का दूध नहीं बेच सकते। ऐसा करने वाले को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है, बावजूद इसके कंपनी 2 साल से मां का दूध बेच रही है। बता दें कि भारत एशिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां मां के स्तन का दूध मुनाफे के लिए बेचा जाता है।
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एक गैर-सरकारी संस्था ने दी शिकायत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने नियोलैक्टा कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था, क्योंकि प्रदेश की किसी भी सरकारी एजेंसी ने कंपनी को मां का दूध बेचने से रोका नहीं था। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत प्रावधान है कि मां का दूध नहीं बेचा जा सकता। इसके बावजूद कंपनी 2 साल से दूध बेच रही है। कर्नाटक का आयुष विभाग, आयुष राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण या केंद्रीय आयुष मंत्रालय एक्ट का पालन करने में सक्षम नहीं रहा।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय की लापरवाही को देखते हुए स्तनपान की सुरक्षा, प्रचार और समर्थन के लिए काम करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (BPNI) ने 19 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। Neolacta की स्थापना 2016 में डेयरी उत्पादों की श्रेणी में FSSAI के कर्नाटक कार्यालय से लाइसेंस लेने के साथ की गई थी।
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गरीब परिवारों की माताओं का दूध खरीदा जाता
वहीं कंपनी के खिलाफ मां का दूध बेचने की शिकायतें मिलने के बाद FSSAI ने 2021 में इसका लाइसेंस रद्द कर दिया। Neolacta ने नवंबर 2021 में आयुष मंत्रालय से लाइसेंस प्राप्त करके यह दावा किया कि वह जो बेच रहे थे, वह आयुर्वेदिक दवाएं थीं, लेकिन BPNI ने आयुष मंत्रालय को शिकायत दी कि आयुर्वेदिक दवाओं की आड़ में मां का दूध बेचा जा रहा है। मंत्रालय ने राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सिफारिश भेजा और 28 अगस्त 2022 को कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
लेकिन लाइसेंस रद्द होने के बावजूद कंपनी ने मां का दूध बेचना जारी रखा तो BPNI के डॉ अरुण गुप्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गत 24 जनवरी को नियोलैक्टा के कुछ पूर्व कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय के समक्ष मामले में पक्षकार बनने के लिए एक आवेदन दायर किया। आवेदन में कहा गया है कि नियोलैक्टा गरीब परिवारों की माताओं को पैसे देकर उनके स्तन का दूध इकट्ठा करती है और उसे पूरे भारत में बेचती है, जो अनैतिक और अवैध है।
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FSSAI की चेतावनी के खिलाफ नियोलैक्टा पहुंची कोर्ट
याचिकाकर्ता द्वारा किए गए अनैतिक व्यवसाय के बारे में पता चलने के बाद आयुष विभाग ने लाइसेंस रद्द कर दिया, लेकिन कर्नाटक सरकार ने कंपनी के खिलाफ आरोपों की जांच नहीं की, जबकि जानकारी मिली है कि कंपनी 300 मिलीलीटर के लिए 4,500 रुपये तक फीस देती है। गत 24 मई को FSSAI ने मानव दूध और उसके उत्पादों को बेचने वालों को चेतावनी भी दी थी। 3 जून को नियोलैक्टा को FSSAI की चेतावनी के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय से स्टे मिला गया। वहीं आयुष मंत्रालय ने यह कहते हुए मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि मामला अदालत में विचाराधीन है।
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