अडानी ग्रुप से सेबी चीफ माधबी का कनेक्शन? हिंडनबर्ग के दावे पर कांग्रेस का रिएक्शन, 10 पॉइंट्स में समझें पूरा मामला
Hindenburg vs Adani alligations on SEBI Chief Madhabi Buch: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर से तहलका मचा दिया है। शनिवार को हिंडनबर्ग ने बड़ा खुलासा करते हुए अडानी ग्रुप और सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के बीच लिंक होने का जिक्र किया। इसी के साथ सियासी गलियारों में भी हलचल तेज हो गई। कांग्रेस ने भी इस पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। तो आइए 10 पॉइंट्स में जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
1. हिंडनबर्ग ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी है।
2. हिंडनबर्ग 2023 की रिपोर्ट में भी अडानी ग्रुप पर कई आरोप लगे थे। इसके अनुसार गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों ने अडानी ग्रुप के शेयर में बढ़ोत्तरी की थी।
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3. हिंडनबर्ग का कहना है कि सेबी अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति धवल बुच की नेट वर्थ 10 मिलियन डॉलर यानी 83 करोड़ से अधिक है। हालांकि दोनों कपल के निवेश का स्रोत मात्र उनकी सैलरी है। हिंडनबर्ग ने सवाल उठाया है कि सैलरी के जरिए इनवेस्ट करके कोई इतनी नेट वर्थ कैसे जुटा सकता है?
4. हिंडनबर्ग के अनुसार भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों से जुड़ी हजारों ऑनशोर कंपनियां मौजूद हैं। उनमें दिलचस्पी दिखाने की बजाए माधबी और धवल ने अडानी की उस ऑफशोर कंपनी को पैसे दिए, जिसमें जोखिम अधिक है। आखिर इसका क्या कारण हो सकता है?
5. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को आदेश दिया था कि अडानी के ऑफशोर प्रोजेक्ट को कौन फंड कर रह रहा है? इसका पता लगाएं। हिडनबर्ग के अनुसार जांच शुरू करने से पहले सेबी की चेयरपर्सन को खुद आइना देख लेना चाहिए।
6. हिंडनबर्ग का कहना है कि तमाम जोखिमों के बावजूद अडानी ग्रुप अपने ऑफशोर प्रोजेक्ट को लेकर कॉन्फीडेंट है। यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं अडानी का सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के साथ कोई कनेक्शन जरूर है।
7. हालांकि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि 10 अगस्त 2024 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो आरोप लगे हैं, वो सब निराधार और झूठे हैं। उनमें कोई सच्चाई नहीं है। उनके सारे फाइनेंस एक खुली किताब है। पिछले वर्षों में सेबी के सामने सारे खुलासे हो चुके हैं। अभी भी हमें अपने फाइनेंस से जुड़ी जानकारी देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।
8. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर सियासी खेमों में भी सरगर्मी बढ़ने लगी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार से संयुक्त संसदीय समिति का गठन करने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि अडानी और सेबी के बीच जो भी गड़बड़ी का संदेह है, उसकी जांच करनी चाहिए।
9. हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि ओह अब समझ में आया संसद का सत्र 12 अगस्त को खत्म होना था। मगर इसे 10 अगस्त को ही अनिश्चितकाल के लिए क्यों स्थगित कर दिया गया। शिवसेना यूबीटी नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अब समझ आया सेबी ने अडानी समूह की कंपनियों का विवरण मांगने पर उनके पत्र का जवाब क्यों नहीं दिया। हमाम में सब नंगे हैं।
10. बता दें कि पिछले साल भी सेबी ने अडानी ग्रुप से जुड़ी एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें अडानी ग्रुप पर शेयर में हेराफेरी करने का आरोप लग था। इस खुलासे के बाद अडानी ग्रुप के शेयर तेजी से गिरने लगे थे। ऐसे में सेबी ने हिंडनबर्ग को 46 पन्नों का कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में हिंडनबर्ग ने सेबी पर ही कई गंभीर आरोप लगा दिए थे।
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