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Hindi Ratna Award: News24 के वर‍िष्‍ठ पत्रकार राजीव रंजन को म‍िलेगा ह‍िंंदी रत्‍न सम्‍मान

Hindi Ratna Award: हिंदी के सुप्रसिद्ध कार्यक्रम 'माहौल क्या है' के प्रस्तुतकर्ता राजीव रंजन को उनकी पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया जाएगा। हिंदी भवन की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन 01 अगस्त को शाम 6 बजे हिंदी भवन सभागार में किया जाएगा। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में न्यूज 24 की Editor in Chief अनुराधा प्रसाद मौजूद रहेंगी।
12:01 AM Jul 26, 2024 IST | News24 हिंदी
Hindi Ratna Award
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Hindi Ratna Award: हिंदी भवन द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण समारोह में हिंदी के सुप्रसिद्ध कार्यक्रम 'माहौल क्या है' के प्रस्तुतकर्ता राजीव रंजन को उनकी पत्रकारिता के लिए सम्मानित किया जाएगा। इस समारोह का आयोजन 'राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयंती' के शुभ अवसर पर गुरुवार, 01 अगस्त, 2024 को शाम 6 बजे हिंदी भवन सभागार में आयोजित किया जाएगा।

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इस अवसर पर राजीव रंजन को हिंदी रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार नवल किशोर सिंह करेंगे। जबकि मुख्य अतिथि के रूप में न्यूज-24 की Editor in Chief,अनुराधा प्रसाद उपस्थित रहेंगी। कार्यक्रम में हिंदी भवन के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चन्द्र मिश्र उपस्थित रहेंगे। संचालन की जिम्मेदारी हिंदी भवन की सहमंत्री डॉ. रत्नावली कौशिक निभाएंगी।

कौन हैं राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन?

राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन भारत के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी थे उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के अग्रणी नेता होने के साथ-साथ वे एक समाज सुधारक और पत्रकार भी थे। उन्होंने लॉ की डिग्री प्राप्त की थी और इलाहाबाद में ही हाईकोर्ट में वकालत करना शुरू किया। वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और 1906 में इलाहाबाद से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि भी चुने गए थे।

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राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन 1920 में हुए असहयोग आंदोलन, 1921 में सामाजिक कार्यों और गांधीजी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्हें सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े मामले में 1930 में बस्ती से गिरफ्तार किया गया था और कारावास की सजा दी गई थी। राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने भारत की आजादी के बाद यूपी के प्रवक्ता के रूप में कई वर्षों तक कम किया। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी को प्रतिष्ठित कराने में उनका खास योगदान माना जाता है। उन्हें देश के सर्वोच्च मागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया जा चुका है। सन् 1961 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका निधन 1 जुलाई 1962 में हो गया।

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