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हैदराबाद बन सकता था देश के लिए ‘कैंसर’, सरदार पटेल ने क्यों कहा ऐसा?

How Hyderabad become Part of India: देश के सबसे अमीर राज्यों में गिना जाने वाला हैदराबाद कभी 'पेट का कैंसर' बन सकता था। सरदार पटेल ने आखिर ऐसा क्यों कहा था? सरदार पटेल कश्मीर से पहले हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे। आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी?
11:18 AM Sep 19, 2024 IST | Sakshi Pandey
हैदराबाद बन सकता था देश के लिए ‘कैंसर’  सरदार पटेल ने क्यों कहा ऐसा

How Hyderabad become Part of India: 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था। मगर कई राजा-रजवाड़े अभी भी अखंड भारत का हिस्सा नहीं बने थे। इस फेहरिस्त में कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद का नाम सबसे ऊपर है। 1947 से 1948 तक भारत सरकार और हैदराबाद के निजाम के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला था। 24,000 सिपाहियों वाला यह राज्य भारत का हिस्सा बनने को तैयार नहीं था। हैदराबाद के निजाम ने खुद को स्वतंत्र रहने का ऐलान कर दिया था।

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हैदराबाद की कहानी

भारत सरकार ने हैदराबाद को देश में मिलाने की बहुत मिन्नतें की लेकिन निजाम ने एक न सुनी। आखिर में भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो शुरू किया। 6 दिन तक चलने वाले इस ऑपरेशन के बाद हैदराबाद भारत का अटूट हिस्सा बन गया। वर्तमान में हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी है। मगर आजादी के समय महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को मिलाकर हैदराबाद कहा जाता था।

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असदुद्दीन ओवैसी से कनेक्शन

हैदराबाद में 88 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या थी लेकिन यहां के निजाम मीर ओसमान अली खान मुसलमान थे। 1712 में मुगलों के पतन के बाद से ही हैदराबाद पर इस वंश का राज था। AIMIM नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी निजाम के इसी घराने से ताल्लुक रखते हैं।

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हैदराबाद क्यों बन सकता था 'कैंसर'?

आजादी की सुबह विभाजन का दंश लेकर आई थी। ऐसे में भारत को डर था कि कहीं हैदराबाद पाकिस्तान से हाथ न मिला ले। अगर ऐसा हुआ तो भारत के अंदर भी एक पाकिस्तान बसेगा, जो देश की राष्ट्र सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता था। यही वजह है कि तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभाई पटेल ने हैदराबाद को देश के पेट में कैंसर करार दिया था। सरदार पटेल का मानना था कि अगर हैदराबाद भारत में शामिल नहीं हुई तो यह देश के पेट में कैंसर की तरह पनपेगा।

नई सरकार के लिए चुनौती बना हैदराबाद

हैदराबाद ने अपनी खुद की करंसी जारी कर दी थी। निजाम के पास 24,000 सैनिकों की विशाल सेना थी। ऐसे में निजाम भारत सरकार से युद्ध करने को भी तैयार थे। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज भारत को उसके हाल पर छोड़ कर चले गए। नई सरकार के सामने कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरे।

ऑपरेशन पोलो 

13 सितंबर 1947 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो लॉन्च कर दिया। इस ऑपरेशन के तहत सेना ने हैदराबाद में एंट्री ली और निजाम को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। 17 सितंबर 1947 को भारतीय सेना ने हैदराबाद के निजाम को मात दे दी। निजाम ने सीजफायर का ऐलान किया और अगले ही दिन हैदराबाद भारत का हिस्सा बन गया। हालांकि इस ऑपरेशन में 42 जवानों की शहादत, 24 जवान लापता और 97 जवानों के घायल होने की खबर सामने आई थी।

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