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10 साल बाद बिछड़े मां-बेटे का मिलन, हिंदू बन जी रहा था मुस्लिम युवक, जानें किसने-कैसे मिलवाया?

Mother Son Emotional Reunion: 10 साल पहले बिछड़ा युवक अपनी मां से मिला तो सब भावुक हो गए। युवक ने अपनी 10 साल की जिंदगी के बारे में बताया है कि वह कहां रहा और कैसे रहा? आइए जानते हैं कि युवक अपने असली परिवार से कैसे मिला?
09:22 AM Dec 08, 2024 IST | Khushbu Goyal
10 साल बाद बिछड़े मां बेटे का मिलन  हिंदू बन जी रहा था मुस्लिम युवक  जानें किसने कैसे मिलवाया
अपनी मां सारा के साथ मोहम्मद खलील।

Hyderabad Son Emotional Reunion With Mother: हैदराबाद में पैदा हुआ एक युवक अचानक गायब हो गया था, लेकिन 10 साल बाद उसे अपना परिवार फिर मिल गया। वह मुस्लिम परिवार का लड़का है, लेकिन 10 साल से वह हिंदू परिवार में उनका बेटा बनकर जी रहा था। खलील से वह अल्ताफ और फिर अभिनव बना, लेकिन आधार कार्ड ने उसे अपने परिवार से मिलवाया।

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हालांकि अब उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और अपनी असली पहचान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, क्योंकि पिछले 10 साल में उसके जरूरी दस्तावेज बन चुके हैं और उन दस्तावेजों में उसका नाम अभिनव है, जबकि वह असल में खलील है। इसलिए उसे अपने दस्तावेज बदलवाने होंगे। सभी में अपना नाम अभिनव से खलील कराना होगा।

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साल 2014 में कोई बहलाकर ले गया था साथ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कहानी हैदराबाद के 22 वर्षीय युवक मोहम्मद खलील गोरी की है। वह 12 साल की उम्र में गायब हो गया था। खलील की मां सारा ने बताया कि साल 2014 में खलील को उसके चचेरे भाई के साथ कुछ डॉक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी कराने के लिए भेजा था, लेकिन खलील ने अपने चचेरे भाई को घर भेज दिया और कहा कि वह बाद में आएगा।

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उसके बाद घंटे, दिन, हफ्ते, महीने और साल बदल गए, लेकिन खलील वापस नहीं आया। सारा पिछले 10 साल से अपने बेटे को तलाश रही थी और वह तलाश अब पूरी हुई। वहीं खलील ने बताया कि उसे बस इतना याद है कि वह दिल्ली की ट्रेन में था और उसके साथ एक आदमी था, जिसने उसे बताया कि उसका नाम अल्ताफ है। इसके बाद वह उसके साथ ही रहने लगा।

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हिंदू परिवार ने गोदकर लेकर दिया था नया नाम

खलील ने बताया कि अचानक उस शख्स से साथ छूट गया और किसी ने उसे गाजियाबाद के एक आश्रय गृह में पहुंचा दिया। यहां से 3 साल पहले उसे कानपुर के एक हिंदू परिवार ने गोद लिया और उन्होंने उसका नाम अभिनव सिंह रखा। वह स्कूल गया, लेकिन ज्यादा दोस्त नहीं थे। ज्यादातर समय पढ़ाई में या अपनी मां के काम में मदद करने में बिताता था।

नए परिवार में एक बहन मिली, जिसका स्ट्रेसबस्टर बना, क्योंकि जब भी उसका मूड खराब होता था। वह सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रही थी, लेकिन तैयारी करते हुए तनावग्रस्त रहती थी तो उसका मनोरंजन करके तनाव दूर करता था। बेशक अपने असली परिवार और परिजनों के बीच आ गया हूं, लेकिन उस परिवार और बहन को कभी भूल नहीं पाऊंगा।

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आधार कार्ड बनवाते समय मिला पुराना रिकॉर्ड

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खलील ने बताया कि जब उसे दत्तक माता-पिता ने उसका आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की तो बायोमीट्रिक्स रिकॉर्ड में उसका प्रोफाइल पहले से दर्ज मिला। यहां से उसकी असली पहचान की खोज शुरू हुई। मामला हैदराबाद तक पहुंचा और 1 दिसंबर को खलील को 2 ऐसे लोगों से मिलवाया गया, जिनसे वह कभी नहीं मिला था।

वे उसके बायोलॉजिकल मां और भाई थे। हालांकि खलील उन्हें पहचान नहीं पाया, लेकिन उनके पास खलील के बचपन की तस्वीरें, स्कूल के रिकॉर्ड और आधार कार्ड भी भी था। यहां पता चला कि उसका असली नाम खलील है, अभिनव नहीं। फिर दत्तक परिवार ने उसे उसके असली परिवार के हवाले कर दिया। आधार कार्ड के अनुसार ही उसकी असली उम्र 22 साल है।

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