'चीन बना चुका छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान और हम...', वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने क्यों जताई चिंता?
IAF Chief AP Singh: भारतीय वायुसेना (IAF) के चीफ एपी सिंह ने बुधवार को 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार को संबोधित किया। इस दौरान एयर फोर्स चीफ ने कहा कि ऐसे समय में उत्पादन के पैमाने में इजाफा करना होगा, जब चीन जैसे भारत विरोधी देश लगातार अपनी हवाई ताकत को बढ़ा रहे हैं। एपी सिंह ने कहा कि चीन लगातार सैन्य शक्ति पर काम कर रहा है। वह छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बना चुका है। उसका लड़ाकू विमान J-36 काफी एडवांस्ड तकनीक से लैस है, जिसके बाद चीन की सैनिक शक्ति में बड़ा उछाल आया है। उन्होंने चीन की वायुसेना के आधुनिकीकरण की तेज गति को लेकर चिंता जाहिर की। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय तेजस विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर भी निराशा व्यक्त की।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक एपी सिंह ने स्पष्ट तौर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमने 2010 में तेजस विमानों का ऑर्डर दिया था। दुख की बात है कि 40 विमानों का पहला बैच अब तक नहीं मिल सका है। चीन ने छठी पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान का कुछ ही समय पहले परीक्षण किया है। अभी तक चीन जैसी उपलब्धि दुनिया का दूसरा कोई देश हासिल नहीं कर पाया है। भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में पहला तेजस जेट 2016 में शामिल किया था, लेकिन इसका परीक्षण 15 साल पहले 2001 में ही कर लिया गया था।
1984 में भारत ने ऐसे विमान की कल्पना की थी, लेकिन पहले विमान का परीक्षण करने में ही 17 साल लग गए। इसके 15 साल बाद इसे एयर फोर्स में शामिल किया गया। आज हम 2024 में हैं, लेकिन पहले बैच के 40 विमान भी नहीं मिल सके हैं। इसलिए उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। टेक्नोलॉजी में देरी होना टेक्नोलॉजी को इनकार करने के बराबर है। तेजस विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा डेवलप किया जा रहा है। यह स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान है, जो पुराने हो चुके मिग-21 की जगह लेगा।
#WATCH | Delhi | During his address at the 21st Subroto Mukerjee Seminar, Chief of the Air Staff, Air Chief Marshal AP Singh says, "...R&D loses its relevance if it is not able to meet the timeline. Time is a very important thing. We need to give greater leeway to the… pic.twitter.com/rgmAKNhVeG
— ANI (@ANI) January 7, 2025
मिग-21 लगातार हो रहे दुर्घटनाग्रस्त
पिछले कई वर्षों में लगातार मिग-21 क्रैश होने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते इसे 'उड़ता ताबूत' कहा जाने लगा है। एपी सिंह ने कहा कि उत्पादन एजेंसियों को अपनी तकनीकी क्षमताओं में और इजाफा करने के लिए निवेश की जरूरत है। कुछ और निजी एजेंसियों को रक्षा उपकरणों के निर्माण में शामिल करना होगा। आज के दौर में दुनिया के कई देश लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। हमें भी और विकल्पों को तलाशने की जरूरत है। एपी सिंह ने कहा कि जो कंपनियां रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी कर रही हैं, उनके ऑर्डर कैंसिल कर देने चाहिए, ताकि दूसरी एजेंसियां भी सतर्क रहें।
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एपी सिंह की टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस समय भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू ताकत में कमी का सामना कर रही है। वर्तमान में एयर फोर्स के पास 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, जबकि स्वीकृति 42 की है। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं। चीन ने जहां छठी पीढ़ी के विमान का परीक्षण कर दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है, उसके मुकाबले भारत का 5वीं पीढ़ी का विमान डिजाइन और विकास के हिसाब से अभी पेंडिंग में है। केंद्रीय कैबिनेट पिछले साल मार्च में ही जेट को डेवलप करने के लिए मंजूरी प्रदान कर चुकी है।
पीएम मोदी भी जता चुके हैं चिंता
रक्षा मंत्रालय ने 2025 को 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है। भारतीय वायुसेना ने HAL के साथ 36468 करोड़ रुपये का करार किया है, जिसके तहत 83 तेजस MK-1A वेरिएंट का ऑर्डर दिया गया है। पिछले साल नवंबर में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 97 और तेजस जेट खरीदने की योजना को मंजूरी दी थी। तेजस लड़ाकू विमानों का संचालन अमेरिका निर्मित जनरल इलेक्ट्रिक के F-404 लड़ाकू जेट इंजन द्वारा किया जाएगा।
तेजस पहले से ही तैनात दो मिग-21 स्क्वाड्रन में से एक की जगह लेगा। नए वेरिएंट की डिलीवरी जुलाई तक होने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 83 लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे के तहत एचएएल 2024-2025 वित्त वर्ष में 16 के बजाय सिर्फ 2-3 तेजस ही डिलीवर कर पाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान भी 99GE F-404 इंजनों की डिलीवरी में देरी पर चिंता जताई थी।