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भारत की इन जगहों पर नहीं मनाई जाती दिवाली, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प वजह

Diwali 2024: भारत में दिवाली को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है, लेकिन कुछ खास जगहें ऐसी भी हैं जहां दिवाली नहीं मनाई जाती। इन जगहों पर इस परंपरा के पीछे के कारण बेहद दिलचस्प और ऐतिहासिक हैं, जो आज भी इन क्षेत्रों की संस्कृति का हिस्सा हैं।
07:13 PM Oct 22, 2024 IST | Ashutosh Ojha
Diwali 2024
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Diwali 2024: दिवाली भारत में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। पूरे देश में इसे बड़े धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहाँ दिवाली नहीं मनाई जाती? इनमें सबसे प्रमुख है केरल। आइए, विस्तार से जानते हैं क्यों केरल में नहीं मनाई जाती दिवाली।

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केरल में दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती?

केरल, जो कि भारत का दक्षिणी राज्य है, वहां दिवाली का उत्सव बहुत कम ही देखने को मिलता है। केरल के लोग न तो मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं, न ही पटाखे जलाते हैं। यहां तक कि दीये भी नहीं जलाए जाते। इसके पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं।

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पहली वजह: महाबली राजा की मृत्यु

केरल में मान्यता है कि दिवाली के दिन ही उनके महान राजा महाबली की मृत्यु हुई थी। महाबली राजा केरल के लोगों के लिए बहुत पूजनीय हैं और उनकी याद में ओणम का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली का दिन उनके लिए शोक का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे उत्सव के रूप में नहीं मनाया जाता।

दूसरी वजह: धार्मिक जनसंख्या

केरल में हिन्दू धर्म के अलावा ईसाई और मुस्लिम धर्म की जनसंख्या भी बड़ी संख्या में हैं। यही कारण है कि केरल में हिन्दू धार्मिक त्योहार, जैसे दिवाली, उतने बड़े पैमाने पर नहीं मनाए जाते जितने उत्तर भारत में होते हैं।

तीसरी वजह: मौसम की समस्या

केरल में अक्टूबर-नवंबर के महीने में बहुत ज्यादा बारिश होती है। इस कारण से पटाखे जलाना और दीये जलाना काफी मुश्किल हो जाता है। अधिकतर समय बारिश के कारण दीपों और पटाखों का आनंद नहीं उठाया जा सकता। यही वजह है कि यहां दिवाली का उत्सव नहीं मनाया जाता। हालांकि, कोच्चि में कुछ लोग दिवाली मनाते हैं, लेकिन बाकी राज्य में यह आम नहीं है।

तमिलनाडु में नर्क चतुर्दशी

केरल के अलावा, तमिलनाडु में भी दिवाली उतनी धूमधाम से नहीं मनाई जाती है। यहाँ के लोग सिर्फ 'नर्क चतुर्दशी' का त्योहार मनाते हैं, जो दिवाली से एक दिन पहले आता है। इसे तमिलनाडु में ज्यादा प्रमुखता दी जाती है, और इस दिन को लोग 'नरकासुर' के वध के रूप में मनाते हैं।

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