दुश्मनों के छक्के छुड़ाएगी INS अरिघात, जानें भारत को क्यों है Project 75 Alpha का इंतजार?
INS Arighat and Project 75 Alpha Latest News Update: जल, थल और नभ में दुश्मन के छक्के छुड़ाने का सपना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। 1998 में पोखरण परमाणु परिक्षण इसी का हिस्सा था। थल और नभ के साथ-साथ अब भारत जल में भी अपनी शक्ति का लोहा मनवाने को तैयार है। भारतीय नौसेना के खेमें में एक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलेस्टिक मिसाइल से लैस पनडुब्बी की एंट्री हो गई है। INS अरिघात देश की दूसरी बैलेस्टिक मिसाइल सबमरीन है। बीते दिन इसे नेवी में कमीशन किया गया है।
क्यों खास है INS अरिघात?
अरिघात एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है दुश्मनों का संहार करने वाला। विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में तैयार की गई यह सबमरीन परमाणु ऊर्जा से चलने वाली देश की दूसरी पनडुब्बी है। इसका वजन 6000 टन है। यह सबमरीन भारतीय नौसेना की स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड का हिस्सा बनने वाली है। दरअसल परमाणु ऊर्जा से चलने वाली मिसाइलें कई घंटों तक समुद्र में रह सकती हैं और इन्हें ढूंढ पाना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में युद्ध की स्थिति में INS अरिघात चीन और पाकिस्तान की सीमा पर भी घात लगा सकती है।
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K-15 मिसाइल दुश्मन देशों पर लगाएगी घात
INS अरिघात 1500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-15 मिसाइल से भी लेस होगी। बता दें कि INS अरिघात से छोड़ी गई के-15 मिसाइल ना सिर्फ पाकिस्तान के इस्लामाबाद को तबाह कर सकती है बल्कि चीन के यूआन प्रांत को भी निशाना बना सकती है। युद्ध की स्थिति में भारत INS अरिघात की मदद से चीन और पाकिस्तान दोनों के दांत खट्टे कर सकता है।
#WATCH | Andhra Pradesh: Defence Minister Rajnath Singh Iinspects The Guard Of Honour before commissioning INS Arighat into the Indian Navy at the Eastern Naval Command Base in Visakhapatnam. pic.twitter.com/MDLX22pf4I
— ANI (@ANI) August 29, 2024
2016 में आई INS अरिहंत
बता दें कि 2016 तक न्यूक्लियर पावर सबमरीन सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों के पास ही थी। बैलेस्टिक मिसाइल से लैस पनडुब्बी रूस, अमेरिका, यूके, फ्रांस और चीन की नौसेना का हिस्सा थीं। मगर 2016 में भारत का नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गया है। INS अरिहंत के रूप में देश को पहली परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन मिली थी।
जल्द आएगी INS अरिदमन
INS अरिघात के कमीशन होने के बाद अब भारत दोनों सबमरीन को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तैनात कर सकता है। अगले साल इस श्रेणी की तीसरी सबमरीन INS अरिदमन भी भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी। यह सबमरीन 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-4 मिसाइल से लैस होगी।
चीन ने दी चेतावनी
बेशक भारत ने दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलेस्टिक मिसाइल से लेस पनडुब्बी तैयार कर ली है। मगर चीन और अमेरिका जैसे देशों से भारत अभी भी काफी पीछे है। अमेरिका के पास ऐसी 71 पनडुब्बियां हैं, 14 बैलेस्टिक मिसाइल सबमरीन के साथ चीन भी भारत से आगे है। हालांकि अब भारत चीन को करारी टक्कर दे सकता है। चीन के सरकारी मीडिया संस्थान द ग्लोबल टाइम्स ने INS अरिघात पर बात करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है भारत समझदारी और सूझ-बूझ के साथ इसका इस्तेमाल करेगा।
Second Arihant-Class submarine ‘INS Arighaat’ commissioned into Indian Navy in the presence of Raksha Mantri Shri @rajnathsingh in Visakhapatnam.
PM Modi-led Govt is working on mission mode to equip soldiers with top-quality weapons & platforms: RMhttps://t.co/yV0NDIKYmV pic.twitter.com/KZ8MFgQlyc
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) August 29, 2024
क्या है प्रोजेक्ट 75 अल्फा?
भारत और फ्रांस प्रोजेक्ट 75 अल्फा पर काम कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि जब भारत अपने ही देश में परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलेस्टिक मिसाइल से लैस पनडुब्बी बना सकता है, तो इस प्रोजेक्ट की क्या जरूरत है? दरअसल प्रोजेक्ट 75 अल्फा के तहत भारत को पहली बैलेस्टिक अटैक सबमरीन मिलेगी। INS अरिहंत और INS अरिघात दुश्मन देशों को घात पहुंचा सकती हैं। मगर दुश्मन की नेवी को कमजोर करने में प्रोजेक्ट 75 अल्फा बेहद मददगार होगा। इसके अंतर्गत बनने वाली पनडुब्बी पानी में रहकर दुश्मन देश की नेवी, आसमान में उड़ते एयरक्राफ्ट और तमाम मिसाइलों को ढेर कर सकेगी।
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