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इस गांव में खुलेआम घूमते हैं बाघ, फिर भी लोगों में नहीं डर; 'मन की बात' में PM Modi भी हुए मुरीद

International Tiger Day 2024: बाघ का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं। क्या होगा अगर आपका सामना बाघ से हो जाए तो? लेकिन भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां खुलेआम बाघ घूमते हैं। फिर भी लोग इनसे बचाव के लिए अपने पास कुछ नहीं रखते। आखिर इन लोगों का बाघ से क्या कनेक्शन है? इस बारे में जानते हैं।
07:42 PM Jul 28, 2024 IST | Parmod chaudhary
इस गांव में खुलेआम घूमते हैं बाघ  फिर भी लोगों में नहीं डर   मन की बात  में pm modi भी हुए मुरीद

International Tiger Day: हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के 112वें एपिसोड में बाघों के संरक्षण को लेकर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि बाघ भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं। कल दुनियाभर में टाइगर डे सेलिब्रेट किया जाएगा। जंगल के आसपास रहने वाले हर ग्रामीण को पता होता है कि बाघों के साथ कैसे तालमेल बैठाना है? पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में ऐसे कई गांव हैं। जहां खुले में बाघ देखे जा सकते हैं, लेकिन कभी भी इंसानों और बाघों में टकराव की स्थिति नहीं बनी।

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सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर लगातार प्रयास कर रही है। पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के आसपास के गांवों में 'कुल्हाड़ी बंद पंचायत' अभियान शुरू किया गया था। जिसका अच्छा असर देखने को मिला है। इस अभियान के तहत लोगों ने शपथ ली थी कि वे अपने खेत में अब बिना कुल्हाड़ी जाएंगे। यह शपथ बाघों के संरक्षण के लिए कारगर रही है।

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बाघों के बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर वर्ष 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2010 में हुई थी। रूस एक टाइगर समिट आयोजित कर चुका है। जिसमें कई देशों ने अपने यहां बाघों को संरक्षित करने की प्रतिज्ञा दोहराई थी। उसी सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यही नहीं, दुनियाभर के 70 फीसदी बाघ भारत में पाए जाते हैं।

1973 में शुरू हुआ था टाइगर प्रोजेक्ट

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का उद्देश्य बाघों की घट रही तादाद को रोकना है। उनके प्रति जागरूकता फैलाना है। बाघ दिवस पर कई प्रकार के आयोजन होते हैं। सरकारों के साथ कई राज्यों में एनजीओज की भूमिका भी नजर आती है। लगातार शिकार के कारण बाघ घट रहे हैं। अवैध तरीके से उनकी खाल, हड्डियां और अन्य अंगों की खरीद की जाती है।

जंगली इलाके सिकुड़ रहे हैं, जिसके कारण बाघ अब आबादी वाले इलाकों में हमले करने लगे हैं। अनुकूल वातावरण नहीं होने से ऐसा हो रहा है। वहीं, भारत सरकार ने 1973 में बाघों को बचाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य बाघों की रक्षा करना है। अभी भारत में लगभग 54 टाइगर रिजर्व हैं। बाघों के संरक्षण को लेकर भी सरकार नीतियां बनाती है।

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