जम्मू में क्यों बढ़े आतंकी हमले? जिसमें बलिदान हो रहे जवान, जांच में मिले ये सबूत
Jammu Kathua Terror: जम्मू कश्मीर में लगातार आतंकी हमलों में इजाफा हो रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को पता लगा है कि हाल के दिनों में पीओके से 2-3 आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना को इनके बारे में पता नहीं लगा। इन्हीं आतंकियों की भूमिका डोडा, उधमपुर और कठुआ टेरर अटैक में सामने आई है। बताया जा रहा है कि ये आतंकी स्थानीय निवासी हैं, जो कुछ साल पहले घुसपैठ कर पाक के कब्जे वाले कश्मीर में गए थे। अब ये आतंकवादी विदेशी आतंकियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इन लोगों को यहां के भौगोलिक इलाकों की अच्छे से पहचान है। जिससे इनको छिपने और सुरक्षित ठिकाना ढूंढने में आसानी होती है।
3 महीने पहले घुसपैठ करने में कामयाब रहे आतंकी
स्लीपर सेल भी इन लोगों की मदद कर रही है। एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ये आतंकी लगभग 3 महीने पहले घुसपैठ करके आए हैं। सप्ताह भर पहले डीजीपी आरआर स्वैन ने कहा था कि कुछ विदेशी आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब हो गए हैं। उनके सफाए के लिए सुरक्षाबलों ने अभियान तेज कर दिया है। पुलिस के अनुसार ये आतंकी अल्पाइन क्वेस्ट मोबाइल ऐप और चीनी अल्ट्रासेट हैंडसेटों का प्रयोग कर रहे हैं। कठुआ के मछेड़ी इलाके के भदनोता गांव में जांच के दौरान एजेंसियों को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं।
टारगेट चूज करने के लिए इस ऐप का यूज किया गया था। जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे। जबकि 5 जवान घायल हुए थे। क्या दूसरे हमलों में इस ऐप का यूज किया गया था? इसकी अभी जांच हो रही है। इस ऐप से नदी, नालों और पहाड़ों की सटीक जानकारी मिलती है। इस ऐप से सुरक्षाबलों को आतंकी चकमा दे देते हैं। जैश-ए-मोहम्मद ने कठुआ हमले की जिम्मेदारी ली थी। सुरक्षाबलों का मानना है कि 3-4 आतंकी अलग गुटों में बंट गए हैं। जो रियासी, डोडा या कठुआ में कहीं छिपे हो सकते हैं। पिछले साल मई में केंद्र ने 14 मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाया था। जिसमें एलिमेंट, क्राइपवाइजर, जांगी, थ्रीमा, बीचैट, नंदबॉक्स, ब्रायर आदि शामिल थे।