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वो 3 कानून कौन-से जिनकी कंगना ने की पैरवी, BJP हाईकमान ने लगाई फटकार

Kangana Ranaut: कंगना के कृषि बिलों पर दिए बयान पर विवाद बढ़ते देख बीजेपी के प्रवक्ता ने एक वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कंगना के बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया। इसके बाद कंगना ने भी इसपर सफाई दी है।
06:55 AM Sep 25, 2024 IST | Shabnaz
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Kangana Ranaut: कंगना रनौत अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। उनके बयानों पर एक बार पहले भी BJP को सफाई देनी पड़ जाती है। हालांकि पार्टी अपने नेताओं को पहले ही निर्देश दे चुकी है कि किसी भी विवादित बयान से बचें। लेकिन कंगना कुछ ना कुछ ऐसा बोल जाती हैं जिसके बाद पार्टी को इसपर बोलना पड़ जाता है। हाल ही में कंगना ने तीन कृषि कानूनों पर बयान दिया। इसपर बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि ये बयान कंगना का व्यक्तिगत बयान है।

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क्या था कंगना का बयान?

हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र मंडी में कंगना ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, मैं जानती हूं कि जो बोलने जा रही हूं उसपर विवाद हो सकता है, लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, और किसान खुद इसकी मांग करें। कंगना ने कहा कि किसानों को इन कानूनों से फायदा था, कुछ राज्यों में किसानों के विरोध की वजह से सरकार को ये वापस लेने पड़े। कंगना ने आगे कहा कि किसान देश के विकास का एक खास स्तंभ हैं। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान अपने लिए इन कानूनों को वापस लाने की मांग करें।

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BJP ने क्या कहा?

कंगना का ये बयान सामने आने के बाद बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक वीडियो जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर कंगना रनौत बीजेपी की तरफ से कोई बयान नहीं दे सकती हैं। यह कृषि बिलों पर बीजेपी के नजरिए को नहीं दिखाता है। इसक वीडियो के सामने आने के बाद कंगना ने इसे शेयर करते हुए कहा कि हां बिल्कुल, कृषि कानूनों पर मेरे विचार व्यक्तिगत हैं और ये पार्टी का नजरिया नहीं है।

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कौन से हैं वो तीन कानून?

1- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020
2- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
3- आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020

पहला कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य अधिनियम -2020 है। इस कानून के जरिए किसान अच्छी कीमत पर अपनी फसल बेच सकते थे। राज्य सरकारों को मंडी के बाहर की गई खरीद-फरोख्त पर टैक्स लेने से रोकता था। इससे किसान अपनी फसल की कीमत तय कर सकते थे।

कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020

इस कानून को सरल शब्दों में समझें तो ये सीधा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ा था। इस कानून के तहत देशभर के किसान बुआई से पहले ही तय मानकों और तय कीमत पर अपनी फसल बेच सकते थे। इसमें किसानों को खरीदारों को खोजने की जरूरत नहीं पड़ती, और नुकसान का खतरा भी कम रहता।

आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020

फसलों के भंडारण और फिर उसकी काला बाजारी को रोकने के लिए ये कानून बना था। इसके तहत व्यापारियों को अनाज के भंडारण के लिए बनाए गए नियमों को मानना होता। वह एक तय मात्रा में ही अनाज का भंडारण कर पाते। संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को जरूरी चीजों की लिस्ट से बाहर रखा गया था। हालांकि आपदा के समय में भंडारण पर रियायत देने की बात कही गई।

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