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17 गोलियां खाकर भी जिंदा हैं…, जानें कारगिल फतह करने वाले कैप्टन योगेंद्र यादव की कहानी

Captain yogendra singh Yadav: परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव को कारगिल की जंग में 17 गोलियां लगी थीं। कैप्टन ने कहा कि जब पहली गोली लगी तो उन्हें तेज झटका लगा। लेकिन उस समय उनके पास अपना जख्म देखने या खुद को संभालने का वक्त नहीं था।
07:07 PM Apr 21, 2024 IST | Amit Kasana
17 गोलियां खाकर भी जिंदा हैं…  जानें कारगिल फतह करने वाले कैप्टन योगेंद्र यादव की कहानी
परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव

Captain yogendra singh Yadav: देश में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो कारगिल के युद्ध में भारत के कई हीरो रहे, लेकिन इनमें से एक हैं परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव। हाल ही में कैप्टन यादव ने एक निजी चैनल के पॉडकास्ट में अपने पुराने अनुभव सांझा किए हैं। आइए आपको बताते हैं उनकी कारगिल फतह की कहानी। बता दें इस साल कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे होने जा रहे हैं।

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ट्रेनिंग खत्म हुई और आया कारगिल की जंग में जाने का ऑर्डर

योगेंद्र यादव ने बताया कि साल 1999 की गर्मियों के दिन थे जब कारगिल की जंग शुरू हुई। उन्होंने कहा कि उस समय उन्होंने अपनी ट्रेनिंग बस पूरी ही की थी। जिसके बाद उन्हें 18 ग्रेनेड्स के साथ कारगिल (टाइगर हिल) को पाकिस्तानी सैनिकों से वापस कब्जे में लेने का जिम्मा सौंपा गया।

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दुश्मनों ने सामने से फायरिंग शुरू कर दी

कैप्टन यादव ने कहा कि आज भी वे उस दिन को नहीं भूले हैं, 3-4 जुलाई की रात थी, उस समय उनकी उम्र लगभग 19 साल की रही होगी, उन्होंने बताया कि टाइगर हिल की चोटी के जाने के रास्ते पर दुश्मनों बंकर थे सामने से फायरिंग शुरू हो गई। किसी तरह केवल 7 जवान ही ऊपर चढ़ पाए।

ऐसा लगा मौत निश्चित है

कैप्टन यादव ने बताया कि ऊपर लड़ाई होने लगी चोटी पर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे। पाकिस्तानी सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी। एक समय तो ऐसा लगा की हामरी मौत निश्चित है। लेकिन हम आगे बढ़ते रहे और पाकिस्तानी सेना पर जवाबी हमला किया और एक-एक पाकिस्तानी सैनिक उनकी आंखों के आगे शहीद हो गए।

बस आंखों में तिरंगा लहराने का सपना था

कैप्टन ने कहा कि जब पहली गोली लगी तो उन्हें तेज झटका लगा। लेकिन उस समय उनके पास अपना जख्म देखने या खुद को संभालने का वक्त नहीं था, उनकी नजरों के सामने केवल टाइगर हिल और उसकी चोटी पर शान से तिरंगा लहराने का सपना था। जिसके बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ पाकिस्तानी सैनिकों का वहां से खदेड़ दिया। जंग के बाद जब उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया तो पता चला कि उन्हें तो छाती समेत शरीर में 17 गोलिंया लगी थीं।

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