केदारनाथ पर फिर मंडरा रहे हैं खतरे के बादल? IMD के रेड अलर्ट ने बढ़ाई टेंशन
Kedarnath IMD Weather Forecast: उत्तराखंड का आपदाओं से पुराना नाता है। खासकर मानसून के दस्तक देते ही देवभूमि पर खतरा मंडराने लगता है। 2013 में आई केदारनाथ बाढ़ को लोग आज भी नहीं भूले हैं। इस बार फिर उत्तराखंड में भारी बारिश के आसार हैं। मानसून जल्द ही उत्तराखंड में एंट्री करने वाला है। इसे लेकर भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है। तो आइए जानते हैं कि चारधाम में से एक केदारनाथ क्यों चर्चा में है?
IMD ने जारी किया रेड अलर्ट
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार मानसून तेजी से उत्तराखंड की तरफ बढ़ रहा है। अगले कुछ दिनों में उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर समेत कई हिमालयन राज्यों में भारी बारिश के आसार हैं। IMD की मानें तो कुछ जगहों पर बादल फटने की भी संभावना है। वहीं मसूलाधार बारिश से खासकर उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ आ सकती है। शायद यही वजह है कि IMD ने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। साथ ही मौसम विभाग केदारनाथ के आसपास मौजूद झीलों की स्टडी कर रहा है। इससे साफ है कि खतरा केदार घाटी में अधिक है।
— Kedarnath Temple Shrine Board™ (@KedarnathShrine) May 28, 2024
झीलों की स्टडी में जुटा IMD
बता दें कि केदारनाथ मंदिर से लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर कई बर्फीलें झीलें मौजूद हैं। मौसम विभाग इन झीलों की ऊंचाई, गहराई और पानी का वॉल्यूम चेक कर रहा है। जिससे तेज बारिश में झील टूटने या बादल फटने जैसी घटनाओं को पहले से भांपा जा सके। 30 जून को भी केदारनाथ मंदिर के पीछे मौजूद सुमेरु पर्वत पर हिमस्खलन देखने को मिला था।
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मंदाकिनी नदी का बेसिन
दरअसल केदार घाटी मंदाकिनी नदी के ईर्द-गिर्द मौजूद है। केदारनाथ मंदिर से 12,975 फीट की ऊंचाई पर चोराबारी झील स्थित है। इस झील को गांधी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर इसी झील से मंदाकिनी नदी का उद्गम होता है। मंदाकिनी रिवर बेसिन में कुल 19 झीलें हैं, जिनमें से कई छोटी-बड़ी नदियां निकलती हैं।
VIDEO | Uttarakhand: An avalanche occurred over Gandhi Sarovar in Kedarnath. No loss of life and property was reported. More details are awaited. pic.twitter.com/yfgTrYh0oc
— Press Trust of India (@PTI_News) June 30, 2024
जब टूटी थी चोराबारी झील
गौरतलब है कि 2013 की त्रासिदी की बड़ी वजह चोराबारी झील ही थी। जी हां, चोराबारी झील के ऊपर बादल फटने के कारण झील में लबालब पानी भर गया। ज्यादा पानी के चलते झील टूट गई और इसका सारा पानी मंदाकिनी नदी में बहने लगा। मंदाकिनी नदी ने रौद्र रूप धारण किया और पूरी केदार घाटी को तहस-नहस कर दिया। इस हादसे में 6000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों लोग लापता हो गए।
हरिद्वार तक होगा असर
मंदाकिनी नदी का कुल कैचमेंट एरिया 67 वर्ग किलोमीटर का है। इसमें चोराबारी और कंपेनियन ग्लोशियर सहित कई बड़े ग्लेशियर हैं। ऐसे में अगर केदार घाटी में कोई घटना घटेगी तो इसका असर हरिद्वार तक पड़ सकता है। 2013 में आई त्रासिदी ने चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और केदारघाटी को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। इस आपदा में लगभग 10 हजार लोगों की मौत का अनुमान है।
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