नौकरी ढूंढने आए थे, किडनी से हाथ धो बैठे! किस तरह भारत में 3 विदेशी बन गए शिकार?

Organ Trafficking In India: देश में अंग तस्करी करने वाले गिरोह इस समय खूब एक्टिव हैं। स्थिति यह है कि जब उन्हें यहां शिकार नहीं मिल पा रहे हैं तो वह विदेशों से लोगों को लालच देकर यहां बुला रहे हैं और फिर उनकी किडनी चोरी कर ले रहे हैं। पढ़िए पूरा मामला।

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Representative Image (Pixabay)

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Kidney Trafficking Gang In india : 20 साल पहले एक फिल्म आई थी 'रन', जिसमें एक नौकरी की तलाश कर रहे एक युवा को दिल्ली की सड़कों पर भटकते हुए दिखाया गया था। यह युवा बाद में एक अंगों की तस्करी करने वाले गैंग का शिकार बन जाता है जो उसकी किडनी चुरा लेते हैं। फिल्म में को इन सीन्स को देखकर खूब हंसी आती है लेकिन क्या हो अगर ऐसा किसी के साथ सच में हो जाए।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है एक हालिया चार्जशीट में जिसमें कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने ये काम करने वाले एक गैंग की हैरान करने वाली प्लानिंग का खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह वह बेहतर जीवन की उम्मीद ढूंढ रहे लोगों को अपने फंदे में फंसाते हैं और ऐसे जख्म के साथ छोड़ जाते हैं जो जीवनभर उन्हें सताता रहता है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसे तीन विदेशी नागरिकों के बारे में पता चला है जो भारत में किडनी ट्रैफिकिंग गैंग का शिकार बन गए।

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ये तीनों बांग्लादेश के नागरिक हैं। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 164 के तहत डॉक्यूमेंट की गई इनकी गवाही एक बेहद नापाक साजिश का खुलासा करती है। उनकी गवाही बताती है कि कैसे नौकरी का वादा करके उन्हें भारत लाया गया था, लेकिन मेडिकल एग्जामिनेशन के नाम पर उनकी किडनी ही निकाल ली गईं। पुलिस को आशंका है कि यह काम बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आए लोग ही कर रहे हैं।

होश आया तो जा चुकी थी किडनी

दवाओं के असर में अपना अहम अंग गंवाने वाले इन लोगों को करीब 48 घंटे बाद जब होश आया तो उन्हें पेट पर ऑपरेशन के निशान और अपने बैंक अकाउंट्स में 4-4 लाख टका की राशि भी मिली जो किडनी ट्रैफिकर्स ने मुआवजे के तौर पर छोड़ी थी।

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इन लोगों का शिकार हुए 30 साल के एक बांग्लादेशी नागरिक का कहना है कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस साल ईद मनाऊं या नहीं। बता दें कि ट्रैफिकर्स के चंगुल से आजाद कराए जाने से पहले ही उसकी किडनी निकाली जा चुकी थी। इस शख्स को एक परिचित ने ही उसे भारत आकर नौकरी ढूंढने की सलाह दी थी।

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लगभग ऐसा ही बाकी दोनों बांग्लादेशी नागरिकों के साथ हुआ था। अंग तस्करी करने वाले ये लोग मजबूरी में फंसे लोगों को नौकरी का लालच देकर बुलाते हैं और मेडिकल टेस्ट्स के नाम पर किडनी निकाल लेते हैं। फिलहाल तीनों लोग वापस बांग्लादेश जा चुके हैं लेकिन धोखे और डर की यह कहानी उनके साथ हमेशा रहेगी। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है और जल्द ही ट्रायल की शुरुआत हो जाएगी।

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