कोलकाता कांड: पुलिस और सरकार की वो बड़ी गलतियां, जिसकी वजह से लोगों में बढ़ा गुस्सा
Kolkata Crime News: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर से हुई हैवानियत के मामले में पुलिस भी सवालों के घेरे में है। अगर पुलिस लापरवाही नहीं बरतती तो लोगों का गुस्सा इतना नहीं बढ़ता। पहले मामले को आत्महत्या का रूप दिया गया। 9 अगस्त को हुई वारदात के बाद अब भी देशभर में कई जगह लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ ऐसी गलतियों के बारे में जानते हैं, जो पुलिस ने कर दीं।
1. मामला दबाने के आरोप
वारदात के बाद मामले को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश हुई। अधिकारियों ने मामले को आत्महत्या बताया। पोस्टमार्टम के बाद यह रेप और मर्डर का मामला निकला। रिपोर्ट में 16 बाहरी और 9 आंतरिक चोटों का जिक्र किया गया। गला घोंटकर हत्या की पुष्टि हुई।
2. मुआवजे पर रार
माता-पिता के अनुसार पीड़िता की डायरी का एक पन्ना गायब किया गया है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें महत्वपूर्ण सुराग हो सकता था। वहीं, सरकार ने पीड़िता के परिजनों को 10 लाख मुआवजे की पेशकश की। जिसे माता-पिता ने न्याय के लिए उनके संघर्ष का अपमान बताया।
Medical students in Uttarakhand protesting for Dr Moumita Debnath#JusticeForMoumitaDebnath pic.twitter.com/ULxwwnuBnK
— Uttarakhand (@UttarakhandGo) August 15, 2024
3. घरवालों को इंतजार करवाया
डॉक्टर के माता-पिता को पहले 3 घंटे अस्पताल में बैठाए रखा। जिसके बाद शव दिखाया गया। आरोप है कि पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार करने का भी दबाव बनाया। पीड़िता की मां के अनुसार उनको पुलिस का सहयोग नहीं मिला।
4. जहां वारदात हुई, उसके पास निर्माण कार्य
अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर से दरिंदगी हुई। उसके कुछ समय बाद ही यहां पर चिनाई का काम शुरू करवा दिया गया। हॉल से सटे बाथरूम की दीवार को तोड़ा जा रहा था। इससे सबूत नष्ट करने के भी आरोप लगे। विपक्ष के अलावा कोर्ट ने भी इस पर नाराजगी जताई।
5. प्रदर्शनकारियों पर दबाव
वारदात के बाद डॉक्टरों और छात्रों में गुस्सा था। वे उग्र हुए तो सरकार ने उनको भरोसे में लेने के बजाय काम पर लौटने का दबाव बनाया। सरकार ने महिलाओं की सेफ्टी आदि को लेकर ध्यान नहीं दिया। 14 अगस्त की रात को तोड़फोड़ हुई, जिसे सरकार रोक नहीं सकी।
MASSIVE PROTEST RALLY in #KOLKATA 🔥
👬👭👬👫👬👭👬👫People are marching towards Swasthya Bhavan
Together We Can Create Differences💪🏻
Stand for Her 🔥#kolkatahorror #KolkataDoctorDeath @PMOIndia @AmitShah @narendramodi pic.twitter.com/hKcUDMbbV7
— Indian Doctor🇮🇳 (@Indian__doctor) August 21, 2024
6. प्रिंसिपल का इस्तीफा और फिर नई पोस्टिंग
वारदात के बाद अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष ने रिजाइन कर दिया। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा उनका नेशनल मेडिकल कॉलेज में बड़े पद पर तबादला कर दिया गया। घोष के खिलाफ ही मामले को आत्महत्या बताने के आरोप लगे थे। उनके सहकर्मियों ने भी इस पर सवाल उठाए थे।
7. मीडिया को दबाने का प्रयास
सरकार ने मीडिया को दबाने का प्रयास किया। सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों का जवाब भी मुश्किल था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 280 लोगों को मामला उठाने पर नोटिस जारी किए गए। वहीं, एक 23 साल के स्टूडेंट को अरेस्ट भी किया गया। पुलिस ने टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रॉय को भी नोटिस जारी किया।
8. रणनीति की कमी
पुलिस को पता था कि स्थिति उग्र हो सकती है। प्रदर्शनकारियों के साथ शांति से बात करनी चाहिए थी। 14 अगस्त की रात को जब तोड़फोड़ हुई तब पुलिस के पास देखने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा था।
9. मैच रद्द करना
कोलकाता में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच फुटबॉल मुकाबला होना था। जिसे यहां से रद्द कर झारखंड के जमशेदपुर में ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि ये सब इसलिए किया गया कि मैच में भीड़ इकट्ठी होगी। जो इस मामले में प्रदर्शन कर सकती है।
While West Bengal is seething with anger, given Mamata Banerjee's apathy and Kolkata Police’s botched cover-up attempt, RG Kar Medical College authorities break down room walls, inside the Chest Medicine Dept, where the on-duty junior doctor was subjected to brutal rape and… pic.twitter.com/j2mJyziwNt
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 13, 2024
10. ममता का किसके खिलाफ विरोध?
लोगों में गुस्सा बढ़ा तो ममता खुद सड़कों पर उतर आईं। उन्होंने CBI को मामले की जांच तेजी से करने को कहा। आलोचकों ने कहा कि ये प्रदर्शन सिर्फ पॉलिटिकल माइलेज के लिए था। कोलकाता पुलिस तो उनके ही अधीन है।
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