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जिंदगी बचाने वाले कैथेटर बन रहे मरीजों के लिए खतरा, कोलकाता मेडिकल कॉलेज में बड़ा स्कैम; जिम्मेदार कौन?

Kolkata Medical College Big Scam: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। यहां घटिया क्वालिटी के उपकरण सप्लाई किए जा रहे हैं। पूरा मामला क्या है, विस्तार से इसके बारे में जानते हैं?
03:40 PM Nov 28, 2024 IST | Parmod chaudhary

Kolkata Medical College News: (मनोज पांडेय, कोलकाता) कोलकाता मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मेडिकल कॉलेज में जिंदगी बचाने वाले मेडिकल डिवाइस खुद मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मामला सेंट्रल वेनस कैथेटर्स (CVCs) से जुड़ा है, जो जटिल सर्जरी के दौरान गर्दन या कमर के जरिए दवा देने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये कैथेटर मरीजों की देखभाल में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन हालिया रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि टेंडर में तय उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों के बजाय निम्न गुणवत्ता के कैथेटर सप्लाई किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वायगॉन (Vygon) को राज्य के अस्पतालों में प्रीमियम क्वालिटी के कैथेटर सप्लाई करने का टेंडर दिया गया था।

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लेकिन इस कंपनी के लोकल डिस्ट्रीब्यूटर पर आरोप है कि वह निम्न गुणवत्ता वाले कैथेटर सप्लाई कर रहा है। इस गड़बड़ी का असर एसएसकेएम, एमआर बांगुर हॉस्पिटल और बांकुरा मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख अस्पतालों पर भी पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं बरती गई हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार ऑर्डर सीधे बहुराष्ट्रीय कंपनी को दिया जाना चाहिए, जो अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सप्लाई सुनिश्चित करती है। लेकिन सवाल ये उठता है कि ये निम्न गुणवत्ता के उत्पाद सप्लाई चेन में कैसे शामिल हो गए? इससे वायगॉन कंपनी के गुरुग्राम स्थित लोकल मैनेजमेंट की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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तीन निदेशक फ्रांसीसी मूल के

कंपनी की भारतीय शाखा में तीन निदेशक फ्रांसीसी मूल के हैं। केवल एक निदेशक भारतीय मूल के हैं, जो इसके मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं। कथित तौर पर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ने ऐसे मामलों में कर्मचारियों को चुप रहने को कहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनी के लोकल और ग्लोबल मैनेजमेंट में गहरी खामियों के आरोप अगर साबित होते हैं, तो यह न केवल सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करेगा, बल्कि मरीजों की जान को भी खतरे में डालेगा। यह मामला मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री में कड़े नियामक नियंत्रण की आवश्यकता को रेखांकित करता है। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट अंजन अधिकारी के अनुसार मामले की जांच जारी है।

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