बलात्कार, छेड़छाड़, गंदी अश्लील हरकतें...कोलकाता से पहले भी अस्पतालों में हो चुके यौन शोषण, पुलिस-सरकार मौन क्यों?
Sexual Assault Case Increasing in Hospitals: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हुए रेप मर्डर केस पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी अस्पताल में महिला कर्मियों और महिला मरीजों का यौन शोषण होने के मामले सामने आते रहे हैं। देशभर के अस्पतालों में यौन उत्पीड़न के ताजा मामले चिंताजनक हैं। साल 2024 मके 8 महीनों में अलवर, गुरुग्राम, प्रतापगढ़, कोझिकोड, कटक समेत कई शहरों में मामले देखने को मिले।
ज्यादातर मामलों में स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा ही महिला मरीजों और कर्मियों का यौन शोषण किया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन मामलों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता। न पुलिस सही तरीके से कार्रवाई न करती है और न ही ऐसे मामलों पर सरकार संज्ञान लेती है। फील्ड एक्सपर्ट भी ऐसे मामलों को उजागर नहीं करते हैं। वहीं कुछ मामले भयानक परिणामों के डर से दर्ज नहीं कराए जाते। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अस्पतालों में यौन शोषण के बढ़ते केसों को लेकर सरकार और पुलिस का रवैया निराशाजनक क्यों है?
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पिछले 8 महीने में हुए केस
1. फरवरी 2024 में राजस्थान के अलवर जिले के एक अस्पताल के ICU में रेप हुआ। फेफड़ों के संक्रमण का इलाज करा रही 24 वर्षीय लड़की को एक पुरुष नर्स ने नशीला पदार्थ खिलाकर हवस का शिकार बनाया।
2. जुलाई 2024 में 50 वर्षीय विदेशी नागरिक की सर्जरी हुई थी। हरियाणा के गुरुग्राम जिले में एक अस्पताल में नर्सिंग अटेंडेंट द्वारा उसका यौन उत्पीड़न किया गया था।
3. जुलाई 2024 में प्रतापगढ़ के एक अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर में बेहोशी की हालत में एक डॉक्टर ने 25 वर्षीय महिला से बलात्कार किया था।
4. जुलाई 2024 में सर्जरी के बाद रिकवर हो रही महिला का कोझिकोड के अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट ने यौन उत्पीड़न किया।
5. अगस्त 2024 में SSB मेडिकल कॉलेज कटक में कार्डियोलॉजी रेजिडेंट डॉक्टर द्वारा 2 महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया।
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अस्पतालों में दोनों पक्षों के लोग अपराध का शिकार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अस्पतालों में महिला कर्मियों और मरीजों का यौन उत्पीड़न असामान्य नहीं है, फिर भी ऐसे मामले बढ़ने के कारणों पर कोई रिसर्च नहीं हुई, जबकि स्वास्थ्य कर्मियों, स्पेशली डॉक्टरों और नर्सों द्वारा मरीजों या उनके रिश्तेदारों के साथ की जाने वाली हिंसा पर अध्ययन और शोध हो चुके हैं। भारत में मरीजों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध पर शायद ही कोई शोध हुआ है।
इसमें मौखिक, शारीरिक या यौन शोषण, प्रसव के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा महिलाओं के साथ हिंसा, छेड़छाड़ जैसे मामले होते रहे हैं। प्रसूति हिंसा के संदर्भ में बात करें तो गर्भवती महिलाओं और उनके रिश्तेदारों के साथ दुर्व्यवहार होता है। उन्होंने अपमानित किया जाता है, लेकिन इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता। भारत में चिकित्सा पद्धति पितृसत्तात्मक है और उपचार-इलाज की प्रक्रिया में मरीजों को समान रूप से शामिल नहीं किया जाता।
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