क्या है हाइड्रोफिलिक गैसकेट? जिसके इस्तेमाल से तैयार हुई कोलकाता अंडर वाटर मेट्रो टनल
Kolkata Underwater Metro: कोलकाता में हुगली नदी के नीचे 6 मार्च से अंडरग्राउंड मेट्रो शुरू होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। जानकारी के अनुसार यह करीब जमीन के 33 मीटर नीचे है। पहली बार ज्वाइंट में हाइड्रोफिलिक गैसकेट का इस्तेमाल कर यह टनल तैयार की गई है। दरअसल, यह गैसकेट पानी के संपर्क में आने पर अपने आकर से करीब 10 गुना अधिक फैल जाती है।
ऐसे काम करती है यह तकनीक
मेट्रो इंजीनियरों के अनुसार इस तकनीक में हाइड्रोफिलिक रबर सील और प्रोफाइल पानी को एब्जॉर्ब करते हैं। इंजीनियरों के अनुसार इससे वॉल्यूम बढ़ता है और निर्माण तत्व के जोड़ों में एक प्रभावी सील बन जाती है। यह चलते हुए मिट्टी काटने के साथ उस हिस्से (जहां निर्माण कार्य चल रहा होता है) को सील कर देती है। जिससे पानी, मिट्टी और मलबे को वहां आने से रोका जाता है और निर्माणकार्य आसानी से किया जा सकता है।
चंद सेकंड में निकल जाएगी ट्रेन
जानकारी के अनुसार यह मेट्रो जमीन के नीचे चलाई जाएगी। यह सुरंग हुगली नदी के पूर्वी तट पर एस्प्लेनेड रोड और पश्चिमी तट पर हावड़ा मैदान को जोड़ेगी। बताया जा रहा है कि हावड़ा से एस्प्लेनेड रोड तक की कुल दूरी करीब 4.8 km है। जिसमें कुछ मीटर का हिस्सा पानी के नीचे है, जहां से चलती ट्रेन तकरीबन 45 सेकंड में गुजर जाएगी।
100 सालों की योजना
सभवत: यह देश में पहली मेट्रो है जो नदी के नीचे चलाई जाएगी। मेट्रो अधिकारियों के अनुसार यह सुरंग अगले 100 सालों से अधिक सालों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इस सुरंग की लंबाई करीब 520 मीटर है और उसकी ऊंचाई 6 मीटर की है।
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