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लेह के आसमान में दिखा शानदार नजारा, सौर तूफान के बाद रंग-बिरंगा हो गया आसमान; वैज्ञानिकों ने बताई ये वजह

Leh Red Aurora Solar Storm: लेह और लद्दाख के आसमान में 10 अक्टूबर को लाल ऑरोरा सौर तूफान का असर दिखा। आसमान रंग-बिरंगा नजर आया। ये सौर तूफान क्या होता है? इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं। सूर्य ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन और वायुमंडल की नाइट्रोजन का जब ऑक्सीजन से टकराव होता है तो ऐसी स्थिति बनती है।
07:15 PM Oct 13, 2024 IST | Parmod chaudhary
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Ladakh Red Aurora Solar Storm: लेह और लद्दाख के आसमान में 10 अक्टूबर को सौर तूफान लाल ऑरोरा का असर दिखा। इसकी वजह से पूरा आसमान रंग-बिरंगा नजर आया। वैज्ञानिकों के मुताबिक शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराया था। जिसकी वजह से आसमान में नजारा अद्भुत हो गया। ऑरोरा की वजह से पूरा आसमान चमकता दिखा। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोनल मास इजेक्शन 10 अक्टूबर को पृथ्वी तक पहुंच गया। इसकी गति लगभग 24 लाख KM प्रति घंटा थी। अमेरिका के अलबामा और न्यू मैक्सिको में भी लेह जैसा ऑरोरा आसमान में देखा गया।

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पहले भी दिख चुके ऐसे नजारे

खगोल भौतिकीविदों के अनुसार एक टीम ने 48-72 घंटे पहले ही इस सौर तूफान के आने की भविष्यवाणी कर दी थी। जिसमें बताया गया था कि 10-11 अक्टूबर की रात को आसमान में तीव्र लाल रंग की प्रकाशीय किरणें दिखेंगी। इस साल 11 मई और पिछले साल 10 मई और 5 नवंबर को भी ऐसा नजारा दिखा था। लद्दाख के हानले और बेंगलुरु स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) ने इस नजारे को अपने कैमरों में कैद किया था।

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वहीं, कोलकाता स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) में तैनात अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र (CESSI) के प्रमुख दिब्येंदु नंदी के अनुसार ऑरोरा से किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। हमारे लेह स्थित देश के सबसे ऊंचे ऑब्जरवेटरी हानले ने इस नजारे को अपने कैमरों में कैद किया था। ऐसी स्थिति तब बनती है, जब सूर्य पर कोरोनल मास इजेक्शन का असर होता है। इस वजह से ऊर्जा पृथ्वी के वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से टकराती है। जिसके कारण आसमान का रंग नीला, लाल और हरा हो जाता है।

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सूर्य पर आया था तूफान

9 अक्टूबर को सूर्य पर भूचुंबकीय तूफान आया था। जो पृथ्वी की ओर तेजी से पहुंचा। National Oceanic and Atmospheric Administration (NOAA) के मुताबिक इसे G4 तूफान कहा जाता है, जो पावर ग्रिड को भी फेल कर सकता है। इससे अंतरिक्ष में सेटेलाइट ऑपरेशन भी प्रभावित होते हैं। 11 साल के अंतराल में सूर्य के साथ इस तरह की स्थिति बनती है। अगले साल भी बड़ा सौर तूफान आने की आशंका है, जिसका असर 2026 में भी दिख सकता है। ऑरोरा एक तरह से प्राकृतिक लाइट शो है, जिसका नजारा ध्रुवीय इलाकों में अधिक दिखता है।

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Aurora Solar StormScience News in Hindi
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