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पार्टी तो बनाई, लेकिन नहीं लड़ते एक भी चुनाव... नाम राष्ट्रीय, नेशनल और अखिल भारतीय से शुरू

Political Parties: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो रजिस्ट्रेशन करने के बाद भी चुनाव नहीं लड़ते। ऐसे दल आयोग के लिए काफी परेशानियां खड़ी करते हैं। इन दलों का नाम अखिल भारतीय, राष्ट्रीय और नेशनल से शुरू होता है। देखिए यह रिपोर्ट...
10:11 AM Mar 08, 2024 IST | Achyut Kumar
पार्टी तो बनाई  लेकिन नहीं लड़ते एक भी चुनाव    नाम राष्ट्रीय  नेशनल और अखिल भारतीय से शुरू
Lok Sabha Election 2024: रजिस्ट्रेशन के बाद भी चुनाव नहीं लड़तीं कई पार्टियां

Lok Sabha Election 2024 Political Parties: लोकसभा चुनाव की घोषणा में अब चंद दिनों का ही समय बचा है। उससे पहले, चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के रवैये से काफी परेशान है। दरअसल, कुछ दल ऐसे हैं, जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन तो आयोग में करा लिया है, लेकिन चुनाव एक भी नहीं लड़ते। इन दलों का नाम राष्ट्रीय, नेशनल और अखिल भारतीय जैसे शब्दों से शुरू होता है। इन दलों में आपकी हमारी पार्टी, अन्नदाता पार्टी और एक्शन पार्टी प्रमुख है। इन दलों के लिए चुनाव आयोग ने मचिस की डिब्बी, पेनड्राइव से लेकर लैपटॉप जैसे 197 निशानों की सूची बनाई हुई है।

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चुनाव आयोग ने 400 दलों पर की कार्रवाई

दरअसल, चुनाव आयोग के लिए ऐसे दल परेशानी का सबब बने हुए हैं, जो रजिस्ट्रेशन के बाद भी चुनाव नहीं लड़ते। ऐसे दलों की संख्या 2000 से ज्यादा बताई जा रही है। इनमें से कई दल ऐसे हैं, जिन्होंने आज तक कभी चुनाव नहीं लड़ा। अब ऐसे करीब 400 दलों पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई करते हुए इन्हें रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त दलों की लिस्ट से हटा दिया है। इनके चुनाव चिह्न को भी छीन लिया गया है। ऐसे दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया गया है। इन दलों ने अपनी सालाना रिपोर्ट आयोग को नहीं दी थी।

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2019 में 2800 में से 623 दलों ने लड़ा चुनाव

चुनाव आयोग ने चुनावी चंदे का हिसाब न देने और पिछले चुनावों के खर्च का ब्योरा प्रस्तुत न करने पर करीब 250 दलों को आयकर में मिलने वाली छूट को खत्म करने की सिफारिश की है। आयोग की रिपोर्ट की मानें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में 2800 दलों में केवल 623 ने ही चुनाव लड़ा था। इनमें भी गंभीरता से चुनाव लड़ने वाले केवल 60 दल थे।

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क्यों बढ़ रही दलों की संख्या?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दलों की संख्या बढ़ने के पीछे की बड़ी वजह मौजूदा रजिस्ट्रेशन नियम है। इस नियम के मुताबिक, कोई भी दल 100 समर्थकों को जोड़कर और 10 हजार रुपये की फीस देकर रजिस्ट्रेशन करा लेता है। इसके साथ उसे टैक्स समेत तमाम छूट मिल जाती है।

दलों को मिलती है टैक्स में भारी छूट

चुनाव आयोग के मुताबिक, 2018-19 में 199 गैर-मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड दलों को टैक्स में 445 करोड़ की छूट मिली थी। वहीं, 2019-20 में 219 दलों को टैक्स में 60 करोड़ की छूट मिली थी। हालांकि, बाद में ऑडिट रिपोर्ट पेश न करने पर इन दलों को निष्क्रिय सूची में डाल दिया गया था।  बताया जाता है कि गैर मान्यता प्राप्त 740 दलों का गठन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुआ है।

क्या रद्द नहीं हो सकता रजिस्ट्रेशन?

प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, यदि किसी दल का एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाता है तो फिर उसे रद नहीं किया जा सकता। यह वजह है कि दलों को कई डर नहीं होता है।

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