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एक भी वोट नहीं पड़ा...फ‍िर भी बन गए सांसद, पहले ही चुनाव में रच डाला इत‍िहास

General Election 1951 Unopposed Winner: 1951 के आम चुनाव में 5 उम्मीदवारों को एक भी वोट नहीं मिला था, फिर भी वे चुनाव जीत गए थे और सांसद बनकर उन्होंने जनसेवा की थी। इन कैंडिडेट्स में से एक बिलासपुर की रियासत के महाराज थे। आइए जानते हैं क्या था वह किस्सा कि बिना लड़े 5 नेता चुनाव जीत गए?
01:07 PM Mar 18, 2024 IST | Khushbu Goyal
एक भी वोट नहीं पड़ा   फ‍िर भी बन गए सांसद  पहले ही चुनाव में रच डाला इत‍िहास
General Election 1951 Unopposed Winner Anand Chand Bilaspur

General Election 1951 Unopposed Winner Story: लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच याद करते हैं आजाद भारत के पहले आम चुनाव को, जिन्होंने देश का नक्शा ही बदल कर रख दिया था। यूं तो देश के पहले आम चुनाव से जुड़े कई यादगार किस्से हैं, लेकिन आइए उस दौर के उन नेताओं के बारे में बात करते हैं, जिन्हें एक भी वोट नहीं मिला था, फिर भी वे चुनाव जीतकर सांसद बने थे।

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ऐसा एक नहीं 5 लोकसभा सीटों पर हुआ था। चुनाव जीतने वाले नेता थे- बिलासपुर से आनंद चंद, कोयंबटूर से TA रामालिंगा, हालार सौराष्ट्र से मेजर जनरल HS हिमानसिंह, रायगढ़ा फूलबनी से T संगाना, यादगीर हैदराबाद से कृष्ण चंद जोशी, जो बिना लड़े चुनाव जीते थे।

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कौन थे आनंद चंद्र और कैसे बिना लड़े चुनाव जीते?

आनंद चंद्र बिलासपुर रियासत के 44वें राजा थे। उन्होंने आजाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें एक भी वोट नहीं मिला था, क्योंकि रियासत में रहने वाले एक भी शख्स ने वोट नहीं डाला था, जबकि रियासत में 68130 वोटर थे। क्योंकि एक भी वोट नहीं मिला था, इसलिए चुनाव आयोग ने उन्हें अनकंटेस्‍टेड घोषित करते हुए विजेता बना दिया था।

इस तरह आनंद चंद्र को 1951 के आम चुनाव में बिलासपुर लोकसभा सीट से निर्विरोध सांसद चुना गया। 1954 तक वे सांसद रहे। 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर रियासत का हिमाचल प्रदेश में विलय हो गया। बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश का राज्य घोषित कर दिया गया। आनंद चंद्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करते थे।

कोयंबटूर और यादगीर उम्मीदवार भी बिना लड़े जीते थे

चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, मद्रास की कोयंबटूर और हैदराबाद की यादगीर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी बिना लड़े चुनाव जीत गए थे, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में भी किसी ने मतदान नहीं कया था। कोयंबटूर में 3.46 लाख वोटर थे। टीए रामलिंगा कांग्रेस के उम्मीदवार थे। यादगीर में 3.62 लाख वोटर्स थे। कृष्ण चंद जोशी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों को निर्विरोध सांसद चुना गया।

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