जब नेहरू की जनसभा में जन्मा बच्चा...जानें देश के पहले आम चुनाव से जुड़े रोचक किस्से और महत्वपूर्ण तथ्य
दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
General Election 1952 Interesting Facts: लोकसभा चुनाव की दुंदुभि बज चुकी है। सभी दल अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इस बार करीब 97 करोड़ मतदाता देश का भविष्य तय करेंगे। भारत निर्वाचन आयोग ने लोगों को लोकतांत्रिक देश के इस पर्व में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेने का अनुरोध किया है। हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है। 7 चरणों में मतदान होगा और 4 जून 2024 को परिणाम घोषित होंगे। आइए, इसी बहाने देश में हुए पहले आम चुनाव से जुड़े रोचक और तथ्यपूर्ण किस्से जान लेते हैं।
देश अंग्रेजों की हुकूमत से आजाद हुआ था ओर देश के सामने कई चुनौतियां थीं। उससे निपटते हुए भारत आगे बढ़ रहा था। आजादी के लगभग ढाई साल बाद संविधान लागू हुआ। उसके बाद नेहरू सरकार ने देश में आम चुनाव कराने का फैसला लिया। उस समय लोकसभा और विधान सभा चुनाव एक साथ हुए थे। लगभग चार महीने तक देश के अलग-अलग हिस्सों में मतदान चलता रहा। पहला वोट हिमाचल प्रदेश चीनी तहसील में डाला गया था। देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे, जो सीनियर आईसीएस अफसर थे।
1952 :: First General Election of India
Election Symbols of various Political Parties
Can You Guess Which Symbol Belonged to Which Party ? pic.twitter.com/jQ9E429g9L
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) March 16, 2024
पहले चुनाव में रजिस्टर्ड वोटर्स थे 17.60 करोड़
देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव की औपचारिक शुरुआत साल 1951 में हुई और साल 1952 में चुनावी प्रक्रिया समाप्त हुई। कुल मतदाता 17.60 करोड़ थे। इनमें से करीब 85 फीसदी निरक्षर थे। उस जमाने में भी 2.24 लाख मतदान केंद्र बनाए गए थे। तब मतदाता बनने के लिए 21 वर्ष की उम्र अनिवार्य थी, जो अब 18 वर्ष कर दी गई है। अनेक चुनौतियों के बीच देश की मतदाता सूची सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी, क्योंकि आधी आबादी में शामिल महिलाएं अपना नाम बताने से परहेज करती थीं। वे किसी की बेटी, किसी की पत्नी, किसी की मां के रूप में ही अपना नाम दर्ज करवाती थीं। नतीजतन 28 लाख से ज्यादा महिला मतदाताओं के नाम काट दिए गए थे।
The Man hated by East India Company and RSS-VHP both!
Pandit Nehru Amar Rahe ❤️❤️❤️ pic.twitter.com/brfh50Jo2K
— Ashank | एल पचिनो (@thispacino) February 8, 2024
नेहरू की लोकप्रियता के बावजूद मोरारजी हारे चुनाव
मतदान होने के बाद परिणाम आने शुरू हुए तो लोग चौंक गए। 45 फीसदी से ज्यादा वोट पाकर कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत तो मिल गया, लेकिन मोरारजी देसाई, जय नारायण व्यास जैसे कांग्रेस के कद्दावर नेता चुनाव हार गए, जबकि यह लोग कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे। भीमराव अंबेडकर को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लगभग 85 फीसदी अशिक्षित मतदाताओं वाले देश में ऐसा होना पूरी दुनिया को चौंका गया। विदेशों में भी उस समय के गरीब देश भारत में हुए पहले चुनाव की चर्चा हुई।
एक सीट से 2 लोग चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
पहले आम चुनाव में 401 संसदीय क्षेत्रों में 489 सदस्यों के लिए चुनाव हुए थे। उस समय एक सीट वाले 314 निर्वाचन क्षेत्र नामांकित किए गए थे तो 86 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे थे, जहां से 2-2 संसद सदस्य चुनकर आए थे। साल 1960 में यह व्यवस्था खत्म कर दी गई और एक निर्वाचन क्षेत्र से केवल और केवल एक ही सदस्य के संसद पहुंचने की व्यवस्था लागू की गई।
Late M.V. Krishnappa, Prof. #RajeevGowda’s paternal uncle, was part of the 1942 Quit India movement and was also the founder of the Bangalore Dairy.
He was a minister in Pandit Jawaharlal Nehru's cabinet and was elected to the Lok Sabha six times. pic.twitter.com/ZPxKe9S0eY
— Paul Koshy (@Paul_Koshy) March 22, 2024
नेहरू सबसे बड़े नेता, सबसे ज्यादा यात्राएं और रैलियां
पहले आम चुनाव में जवाहर लाल नेहरू एक मात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने करीब 40 हजार किलोमीटर की यात्रा की थी। वे जहाज से भी चले, ट्रेन में भी सफर किए और कार से भी चुनाव प्रचार करने गए। नौका से नदी पार करके भी उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। 300 से ज्यादा रैलियां की थी और जब परिणाम आए तो कांग्रेस सबसे बड़े और स्पष्ट बहुमत वाली पार्टी के रूप में सामने आई। इतनी रैलियां या इतनी यात्रा किसी भी एक नेता ने उस चुनाव में नहीं की थी। बाकी दलों के नेताओं ने सीमित इलाकों में चुनाव लड़ा था और कांग्रेस पूरे देश में मैदान में थी।
आजादी के बाद नेताओं में वैचारिक बिखराव शुरू हुआ
भारत आजाद नहीं था तो सभी नेता एक सुर में थे। सभी को आजाद भारत चाहिए था, लेकिन जैसे ही आजादी मिली, नेताओं के सुर बदलने लगे। जेबी कृपलानी ने कृषक मजदूर प्रजा पार्टी बना ली। महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक रहे जय प्रकाश नारायण ने सोशलिस्ट पार्टी बना ली। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस पर वादों से मुकरने का आरोप मढ़ दिया। यह वही समय था, जब नेहरू कांग्रेस में सबसे ताकतवर नेता बन चुके थे। पटेल का निधन हो गया था। गांधी की हत्या हो चुकी थी। राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति बन चुके थे। ऐसे में उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था और यही आरोप विपक्ष लगाता कि नेहरू मनमानी कर रहे हैं।
1949 - New York - USA ;
At that time their Was NO WATTSAPP, NO E-MAIL, NO SMS SERVICE & NO MOBILE to spread Vishwa Guru propaganda.Hence People of America Came Out on streets just to have a glimpse of
Pandit Jawaharlal Nehru pic.twitter.com/2xYsBusahG— Rebel 😠 (@odisha2023) February 10, 2024
जनसभाओं में विरोधियों का भी सम्मान करते नेहरू
देश के पहले आम चुनाव की एक खूबसूरत बात यह रही कि नेहरू अपने विरोधी नेताओं कृपलानी, अंबेडकर, जेपी की सराहना करते थे। वे कहते थे कि देश को ऐसे काबिल नेताओं की जरूरत है, लेकिन सभी अलग-अलग दिशा में गाड़ी खींच रहे हैं, जिसका कोई नतीजा नहीं निकलने जा रहा है।
जब नेहरू की जनसभा में बच्चे का हुआ जन्म
किस्सा खड़गपुर का है। नेहरू की जनसभा थी। भारी भीड़ के बीच एक गर्भवती महिला भी आई थी, जिसे रैली के दौरान ही प्रसव पीड़ा हुई। लोगों ने वहीं घेरा बनाया और महिलाओं ने संयुक्त प्रयास करके एक स्वस्थ बच्चे का दुनिया में स्वागत किया। यह वह समय था, जब नेहरू की लोकप्रियता पूरे देश में थी। जहां सभा होती थी स्कूल-कॉलेज बंद हो जाते थे।
प्रचार के लिए गायों का इस्तेमाल किया गया
आम चुनाव 1952 में लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए पूरा एक साल देशभर के सिनेमा हाल में स्लाइड चलाई गई। पश्चिम बंगाल में लोगों ने गाय की पीठ पर ऐसे पोस्टर बड़ी संख्या में चस्पा किए, जिसमें कांग्रेस को वोट देने की अपील की गई थी। उस चुनाव में पोस्टर, बैनर, बिल्लों का प्रचलन भी था। नेता साइकिल पर और पैदल ही प्रचार करते देखे जाते। मोटर का इस्तेमाल केवल बड़े नेता ही कर पाते थे, तब लोगों के पास साधन का अभाव था।