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मायावती से लेकर महबूबा तक... जिन्होंने किसी से नहीं मिलाया हाथ उनका हो गया सूपड़ा साफ

Parties Which Won Zero Seats: लोकसभा चुनाव में इस बार लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के इरादे से उतरी भाजपा बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी है। हालांकि, सहयोगी दलों की सीटों को मिलाकर वह सरकार बनाने की स्थिति में है। इस रिपोर्ट में जानिए उन दलों की परफॉरमेंस के बारे में जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बने थे और अकेले दम पर चुनाव लड़ने उतरे थे।
07:35 PM Jun 05, 2024 IST | Gaurav Pandey
मायावती से लेकर महबूबा तक    जिन्होंने किसी से नहीं मिलाया हाथ उनका हो गया सूपड़ा साफ

Lok Sabha Election Result 2024 Analysis : लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। जनता ने भाजपा को झटका दिया है। भगवा दल अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। लेकिन राहत की बात यह है कि उसका गठबंधन एनडीए का स्कोर बहुमत के आंकड़े से ऊपर है। फिलहाल सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की जा रही है। यह चुनाव मुख्य रूप से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन इंडिया के बीच था। ज्यादातर राजनीतिक दल इनमें से किसी एक दल का हिस्सा रहे। लेकिन, कुछ दल ऐसे भी रहे जिन्होंने किसी के साथ हाथ नहीं मिलाया था। इस रिपोर्ट में जानिए उन पार्टियों के बारे में और चुनाव में उनका प्रदर्शन कैसा रहा।

मायावती, नवीन पटनायक, केसीआर...

उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने इस बार चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा था कि गठबंधन का हिस्सा बनने पर बसपा को हमेशा नुकसान ही हुआ है। हालांकि, उनकी अकेले चुनावी मैदान में उतरने की नीति भी उन्हें कोई फायदा नहीं पहुंचा सकी और उनका हाथी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाया। इस चुनाव में बसपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई है। कुछ ऐसा ही हाल ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक के बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उर्फ केसीआर की भारत राष्ट्र समिति और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का भी रहा।

इन सब ने चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया था और किसी को 1 भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई। मायावती की बसपा के वोट शेयर में इस बार भी कमी आई है। बसपा को 9.33 प्रतिशत वोट मिले हैं जो कांग्रेस के वोट शेयर से भी कम है। कांग्रेस का वोट शेयर 9.46 प्रतिशत रहा है। आंध्र प्रदेश से अलग होकर बने राज्य तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी का इस लोकसभा चुनाव में सफाया हो गया। 16.68 प्रतिशत वोट मिलने के बाद भी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक की बीजद लोकसभा सीटों को देखते हुए राज्य की सबसे बड़ी पार्टी रही है। लेकिन इस बार उसका एक भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाया। पिछले चुनाव में इसने 12 सीटें जीती थीं।

महबूबा मुफ्ती के हाथ भी रह गए खाली

जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर घाटी की 3 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। यहां की अनंतनाग-राजौरी सीट से वह खुद चुनाव लड़ रही थीं। लेकिन तीनों सीटों पर उनकी पार्टी को हार मिली। खुद महबूबा को भी जीत नहीं मिली। तमिलनाडु की सत्ता में काबिज रही एआईएडीएमके के हाथ भी इस चुनाव में खाली रह गए। राज्य की सभी 39 लोकसभा सीटों पर विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवारों को जीत मिली है। बता दें कि इस लोकसभा चुनाव के परिणाम जब आए तो हर तरह की अटकलों और दावों पर विराम लग गया था। किसी भी पार्टी को जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया। हालांकि अपने साथियों के साथ भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।

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