Lok sabha Election: ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी जब नहीं बन सकी थी सरकार, जानें कैसे हुआ उलटफेर?
Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती जा रही है। बीजेपी रुझानों के मुताबिक 235 सीटें लेती दिख रही है। लेकिन बहुमत का जादुई आंकड़ा 272 है। जिसके बाद बीजेपी को 27 सीटों की और जरूरत है। हालांकि एनडीए बहुमत से काफी आगे सीटें लेता दिख रहा है। एनडीए को 297 सीटें मिल सकती हैं। जिसके बाद सरकार तो तय है, लेकिन 5 साल बीजेपी को अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा। अगर कोई भी दल बीजेपी से छिटकता है, तो पार्टी के लिए परेशानी पैदा हो सकती है। वहीं, दो बार देश में ऐसा हो चुका है, जब कोई पार्टी सबसे अधिक सीटें लेकर आई हो, लेकिन सरकार बनाने में नाकाम रही हो। कुछ ऐसा ही अंदेशा अब विश्लेषक इस बार के परिणाम को देख रहे हैं। राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
1989 में ऐसा हो चुका है। 1984 के बाद जब चुनाव हुए, तो कांग्रेस को 197 सीटें मिलीं। 200 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस के बाद जनता दल ने दूसरे नंबर पर 143 सीटें जीतीं। तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने कांग्रेस को बड़ी पार्टी होने के चलते सरकार बनाने का न्योता दिया था। लेकिन इसके बाद भी तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने रिजाइन कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जनादेश उनके खिलाफ है। वहीं, जनता दल ने बीजेपी और वामपंथियों के सहयोग से सरकार बना ली थी। वीपी सिंह को पीएम बनाया गया था। लेकिन सरकार सिर्फ 11 महीने चल सकी।
1996 में 11 दिन बाद गिर गई थी बीजेपी की सरकार
1996 में भाजपा ने 161 सीटें जीती थीं। लेकिन सबसे बड़ा दल होने के बाद भी सरकार नहीं चल सकी थी। कांग्रेस ने इस चुनाव में 140 सीटें लीं। पीएम के तौर पर वाजपेयी ने सरकार बनाने का दावा किया और शपथ ले ली। लेकिन दूसरे दलों ने हाथ पीछे खींच लिया और सरकार 13 दिन में गिर गई थी। इसके बाद एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी। जो सिर्फ 18 महीने चल सकी थी। बाद में 1998 में मध्यावधि चुनाव करवाए गए। 1996 में सबसे बड़ा दल नाटकीय घटनाक्रम का शिकार हो गया।