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नहीं रहे पायलट बाबा, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर; जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग में संभाली थी जेट की कमान

Mahamandleshwar Pilot Baba Passed Away: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन हो गया है। इनको पायलट बाबा के रूप में पहचान मिली थी। इसके पीछे की कहानी बेहद रोचक है। एक जंग के दौरान इन्होंने देश के लिए काम किया था। इनको धर्मनगरी में समाधि दी जाएगी।
05:30 PM Aug 20, 2024 IST | Parmod chaudhary
नहीं रहे पायलट बाबा  जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर  जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग में संभाली थी जेट की कमान

Who was Pilot Baba: जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया है। पाकिस्तान के खिलाफ जंग में इन्होंने फाइटर जेट की कमान संभाली थी। जिसके बाद उनको पायलट बाबा के रूप में पहचान मिली थी। वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। वे देश के जाने माने संत थे। उन्हें हरिद्वार में समाधि दी जाएगी। वे भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर की भूमिका निभा चुके थे। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 की जंग में उन्होंने जेट की कमान संभाली थी। जिसकी वजह से दुश्मन को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। 1962 की जंग में भी उन्होंने चीन के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम किया। वे 1957 में भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए थे। उनका जन्म बिहार के रोहतास जिले में हुआ था। उनका नाम कपिल सिंह था, जिनको बाद में पायलट बाबा के तौर पर प्रसिद्धि मिली थी।

बाबा ने पोस्ट ग्रेजुएशन (Msc) की पढ़ाई बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से की थी। वायु सेना में उनको ग्रीन पायलट के तौर पर वर्गीकृत किया गया था। सोशल मीडिया पर भी लोग पोस्ट कर बाबा को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। एक यूजर्स ने लिखा है कि पायलट बाबाजी ने महासमाधि ले ली है। वे अपना नश्वर शरीर त्याग चुके हैं। कृपया शांत रहें।

एक हादसे ने बदल दी थी जिंदगी

बाबा को सेना में बहादुरी के लिए कई मेडल मिले थे। लेकिन कई साल देश के लिए काम करने के बाद उनके जीवन की धारणा बदल गई। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि 1996 में उत्तर पूर्व से लौटते समय उनके मिग का संतुलन गड़बड़ा गया था। उनको बचने की उम्मीद नहीं थी। जिसके बाद अपने आध्यात्मिक गुरु हरि बाबा को याद किया।

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कुछ समय बाद ही उनका विमान सुरक्षित बेस पर उतर गया था। इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया था कि वे आध्यात्मिक जीवन जीएंगे। 33 साल की उम्र में वायुसेना छोड़ दी। इसके बाद हिमालय की नादा देवी घाटी में एक साल तक तप किया। आज दुनियाभर में उनके भक्तों की संख्या लाखों में हैं। वे कई किताबें भी लिख चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े ने 3 दिन का शोक घोषित किया है। 3 दिन पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए हवन और विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।

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