whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

'मातृत्व लाभ के लिए भेदभाव स्वीकार्य नहीं'; कोलकाता हाईकोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी? RBI से क्नेक्शन

Maternity Benefits Kolkata High Court: कोलकाता हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश के लाभ देने संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए अहम फैसला सुनाया। रिजर्व बैंक को याचिकाकर्ता को मुआवजा देने का आदेश देते हुए अहम टिप्पणी भी की। मामला RBI और एक इंटर्न से जुड़ा है।
03:19 PM Feb 28, 2024 IST | Khushbu Goyal
 मातृत्व लाभ के लिए भेदभाव स्वीकार्य नहीं   कोलकाता हाईकोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी  rbi से क्नेक्शन
court

Kolkata High Court Verdict on Maternity Benefits: देशभर की महिलाओं को प्रसव और मातृत्व अवकाश के अधिकार को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक कार्यकारी इंटर्न की याचिका पर सुनवाई करते हुए बैंक को निर्देश दिया कि वह इंटर्न को मुआवजा दे।

Advertisement

साथ ही टिप्पणी की कि रेगुलर और कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों के बीच भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी ने याचिका का निपटारा करते हुए फैसला सुनाया और अहम टिप्पणी करके अधिकारों को लेकर न्यायालय के रुख संबंधी इरादे भी स्पष्ट किए।

यह भी पढ़ें: मोतियाबिंद सर्जरी की फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अस्पतालों और केंद्र सरकार को दी चेतावनी

Advertisement

RBI ने वेतन के साथ मातृत्व अवकाश देने से किया इनकार

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता, 16 अगस्त 2011 से 3 साल तक RBI के साथ एक कार्यकारी प्रशिक्षु के तौर पर काम करती थीं, लेकिन RBI ने उसे वेतन के साथ मातृत्व अवकाश की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसलिए अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने RBI को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को उस समय अवधि का वेतन और छुट्टी के रूप में मुआवजा दे, जिसके लिए छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया था। न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता को लाभों का फायदा न देना भेदभावपूर्ण कार्य है।

Advertisement

यह भी पढ़ें: Gaganyaan मिशन के लिए चुने गए 4 अंतरिक्ष यात्रियों में कोई महिला क्यों नहीं? ISRO चीफ ने बताई वजह

हाईकोर्ट ने RBI के इनकार को अधिकारों का उल्लंघन बताया

हाईकोर्ट ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से इनकार करना भेदभावपूर्ण कृत्य है और मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत एक अपराध है। अधिनियम के खंड 5(1) के अनुसार, प्रत्येक महिला मातृत्व लाभ के भुगतान की हकदार होगी और उसका नियोक्ता उसे यह लाभ देने के लिए उत्तरदायी होगा।

यदि RBI को याचिकाकर्ता को मातृत्व लाभ के मूल अधिकार से वंचित करने की अनुमति दी जाती है और मुआवजे के बिना केवल छुट्टी बढ़ा दी जाती है तो यह कर्मचारी को उसकी गर्भावस्था के दौरान काम करने के लिए मजबूर करने जैसा होगा।

यह भी पढ़ें: ‘मुझे कांग्रेस में अपमानित किया’; Vikramaditya Singh कौन हैं, मंत्री पद छोड़ा, पिता वीरभद्र को याद करके रोए

(इनपुट- PTI)

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो