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भारत की अकेली बड़ी नदी जो उल्टी दिशा में बहती है; प्यार और धोखे की कहानी सुनाती हैं लहरें!

Most Unique Major River In India: भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है नर्मदा। देश के भूगोल और अध्यात्म में अहम स्थान रखने वाली यह नदी न केवल अपने उल्टे बहाव के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके तट कई प्रसिद्ध मंदिरों के घर भी हैं। इसके उद्गम और उल्टे बहाव को लेकर कई रोचक कहानियां भी हैं। इस रिपोर्ट में जानिए इस महत्वपूर्ण नदी के राज।
06:36 PM Jul 05, 2024 IST | Gaurav Pandey
भारत की अकेली बड़ी नदी जो उल्टी दिशा में बहती है  प्यार और धोखे की कहानी सुनाती हैं लहरें
Narmada River (x/kalapian_)

India's Most Unique Major River: भारत के दिल में घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच एक नदी बहती है जो सदियों से लोगों की कल्पना को अपनी ओर खींचती आ रही है। मध्य प्रदेश के अमरकंटक से शुरू होने वाली यह नदी कई मायनों में अनोखी है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह देश की अकेली ऐसी बड़ी नदी है जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। जबकि बाकी बड़ी नदियां पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं। इस नदी का नाम नर्मदा है। सभ्यताओं को पालने वाली यह नदी हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है।

लगभग 98,796 वर्ग किलोमीटर का एरिया कवर करने वाली नर्मदा नदी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली हुई है। ताप्ती, माही, साबरमती और लूनी जैसी कई छोटी नदियां भी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं। लेकिन, नर्मदा अकेली ऐसी बड़ी नदी है जो अरब सागर से जाकर मिलती है। अन्य बड़ी नदियों के विपरीत, यह खंभात की खाड़ी के पास अरब सागर में गिरते समय डेल्टा के स्थान पर एक मुहाने का निर्माण करती है। इस नदी के उल्टे बहाव के कारण को बताती एक लोककथा भी है जो प्यार और धोखे की दास्तान है।

नर्मदा को भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में एक माना जाता है। देश की ज्योग्राफी और अध्यात्म में इसका अहम स्थान है। यह अरब सागर में समाने से पहले देश के मध्य क्षेत्र से होकर पश्चिम की ओर जाती है। यह अकेली नदी है जो सतपुड़ा और विंध्य पर्वतमालाओं के बीच पश्चिम की ओर एक दरारनुमा घाटी में बहती है। नर्मदा नदी का महत्व केवल हाइड्रोलॉजिकल ही नहीं है बल्कि इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अहमियत भी है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह नदी भगवान शिव के शरीर से उत्पन्न हुई थी।

शिव का पसीना या ब्रह्मा के आंसू

नर्मदा नदी की उत्पत्ति को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं। एक कहानी यह कहती है कि भगवान शिव एक बार गहन ध्यान में लीन थे। इस दौरान उनके शरीर का ताप इतना बढ़ गया कि पसीना बहने लगा। यह पसीना एक कुंड में एकत्रित हो गया जिसे नर्मदा के नाम से जाना गया। दूसरी कहानी बताती है कि भगवान ब्रह्मा की आंखों से आंसू की बूंदे गिरी थीं। इन दोनों बूंदों ने नदी का स्वरूप ले लिया। इनमें से एक का नाम नर्मदा पड़ा और दूसरे का सोन। इतना ही नहीं, नर्मदा नदी प्रेम और धोखे की करुण कहानी भी बयां करती है।

प्रेम और धोखे की कहानी पढ़िए

लोककथाओं के अनुसार एक समय में नर्मदा और सोनभद्र प्रेम में थे। सोनभद्र एक क्षेत्र है जिसे इस कहानी में एक राजकुमार के रूप में बताया गया है। दोनों एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था। सोनभद्र धीरे-धीरे अपनी एक सेविका जुआहिला पर मोहित हो गए। समय के साथ सोनभद्र का नर्मदा को लेकर प्रेम धुंधला पड़ गया। इतना बड़ा धोखा खाने के बाद नर्मदा ने अपना रास्ता बदलने का फैसला कर लिया। इसके बाद से ही से नर्मदा परंपराओं को तोड़कर सोनभद्र से दूर उल्टी दिशा में बहने लगीं।

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